नूंह में विहिप और बजरंग दल की शोभायात्रा के दौरान झड़प और हिंसा हुई। नूंह में दो होम गार्ड सहित तीन लोगों की मौत हो गई है। बाद में गुरुग्राम में भी हिंसा में एक धर्मगुरु की हत्या कर दी गई। इस हिंसा की ख़बर के साथ ही मोनू मानेसर का नाम सुर्खियों में आने लगा है। दरअसल, इस हिंसा से उसका नाम जुड़ रहा है। तो सवाल है कि आख़िर यह मोनू मानेसर कौन है और इसका नाम कैसे जुड़ रहा है?
नूंह में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल द्वारा निकाली गई एक धार्मिक शोभायात्रा के दौरान हिंसा हुई। हिंसा से एक दिन पहले मोनू मानेसर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कहा था कि वह 'शोभायात्रा' में भाग लेगा और लोगों से बड़ी संख्या में इसमें शामिल होने के लिए कहा था। हालाँकि, उसको मानेसर में पुलिस ने रोक दिया।
सोशल मीडिया पर ऐसी चर्चा है जिससे संकेत मिलते हैं कि मोनू मानेसर की संभावित भागीदारी भी एक वजह रही जिसके कारण धार्मिक शोभायात्रा में बवाल हुआ। तो सवाल है कि यह आख़िर कौन है कि इसके नाम पर इतना बड़ा बवाल हो सकता है।
दरअसल, मोनू मानेसर बजरंग दल का सदस्य और गुड़गांव में हरियाणा सरकार की गाय संरक्षण टास्क फोर्स का चेहरा है। उसका असली नाम मोहित यादव है, लेकिन उसे मोनू मानेसर के नाम से भी जाना जाता है। उसका नाम तब बड़े पैमाने पर सामने आया था जब फ़रवरी महीने में दो लोगों के रिश्तेदार द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में उसका नाम सामने आया था। उन दोनों को कथित तौर पर राजस्थान से अपहरण कर लिया गया था। बाद में जिस कार में वे यात्रा कर रहे थे, उसमें हरियाणा के लोहारू में उनके जले हुए शव पाए गए थे।
फरवरी महीने में नासिर व जुनैद के मामले से कुछ दिनों पहले हरियाणा के नूंह के टौरू में एक अन्य पुलिस शिकायत में मोहित और उसकी गौरक्षकों की टीम का नाम लिया गया था, जिसमें एक 22 वर्षीय व्यक्ति को मवेशी तस्करी के संदेह में पकड़ा गया था और बाद में पुलिस को सौंप दिया गया था। उसकी एक अस्पताल में मौत हो गई थी। पुलिस ने कहा था कि जिस कार में वह अपने दो सहयोगियों के साथ यात्रा कर रहा था, वह एक टेम्पो से टकरा गई थी और दुर्घटना में लगी चोटों के कारण उसकी मृत्यु हो गई। मोहित के सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किए गए फेसबुक लाइव का एक कथित वीडियो क्लिप वायरल होने के बाद आरोपी पशु तस्कर के परिवार ने आरोप लगाया था कि उसे गोरक्षकों ने पीटा था और हमले से घायल होने के कारण उसकी मौत हो गई।
मोनू मानेसर उर्फ मोहित यादव बजरंग दल का सदस्य और गौरक्षक है। वह हरियाणा में बजरंग दल की गाय संरक्षण टास्क फोर्स इकाई, गोरक्षा दल के प्रमुख के रूप में अपनी भूमिका के लिए कुख्यात है। पानीपत, सोनीपत, गुड़गांव, रेवाडी, नूंह, पलवल, झज्जर जैसे हरियाणा के कई जिलों में फैले मुखबिरों के नेटवर्क और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के साथ टास्क फोर्स हरियाणा पुलिस के साथ काम करती है। वह अक्सर संदिग्ध मवेशियों को पकड़ती है और तस्करों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर देती है।
मोनू मानेसर कथित गौ तस्करों के खिलाफ सतर्कता के लिए कुख्यात है। उसके काम करने के तरीके में रात की पाली के वर्करों से संदिग्ध वाहनों के बारे में जानकारी जुटाना और इसके बाद पुलिस को रिपोर्ट करना शामिल है।
यदि पुलिस जवाब देने में असमर्थ होती है तो मोनू मानेसर और उसके साथी मामले को अपने हाथ में लेते हैं, संदिग्धों को पकड़ते हैं और उन्हें पुलिस को सौंप देते हैं। हालाँकि, मोनू मानेसर के इन तौर-तरीकों ने विवाद को जन्म दिया है।
उस पर अल्पसंख्यक समुदाय के दो लोगों की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। राजस्थान के भरतपुर जिले के घाटमीका गांव के रहने वाले नासिर और जुनैद का कथित तौर पर 15 फरवरी को गोरक्षकों ने अपहरण कर लिया था और अगले दिन उनके शव हरियाणा के भिवानी के लोहारू में एक जली हुई कार में पाए गए थे। राजस्थान पुलिस ने मामले में आरोप पत्र दायर किया और मोनू मानेसर को आरोपी बनाया। हालांकि, मोनू मानेसर ने अपहरण और हत्या के आरोपों से इनकार किया है और फिलहाल फरार है।
मानेसर के मूल निवासी 28 वर्षीय मोहित के पास एक पॉलिटेक्निक कॉलेज से डिप्लोमा है और वह मानेसर क्षेत्र में मज़दूरों को किराए के कमरे किराए पर देकर अपनी जीविका चलाता है। उसने खुद को 'गौरक्षक' और सामाजिक कार्यकर्ता बताया। 2011 में वह मानेसर से जिला सह-संयोजक के रूप में बजरंग दल में शामिल हुआ था। वह सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय है।
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