कांग्रेस हरियाणा में आदमपुर के विधायक कुलदीप बिश्नोई के खिलाफ राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के लिए कार्रवाई करेगी। इस बीच कुलदीप बिश्नोई के बीजेपी में जाने की चर्चा शुरू हो गई है। आरोप है कि बिश्नोई ने बीजेपी-जेजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा को वोट दिया था। कार्तिकेय शर्मा एक मीडिया कंपनी के मालिक हैं। इसके अलावा वो हरियाणा के चर्चित नेता रहे विनोद शर्मा के बेटे हैं। जिस मनु शर्मा का नाम मॉडल जेसिका लाल हत्याकांड में दोषी के रूप में आय़ा था, वो कार्तिकेय का ही भाई है।
हरियाणा कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल ने कहा है आदमपुर विधायक कुलदीप बिश्नोई के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पार्टी आलाकमान ने उनके क्रॉस वोटिंग का संज्ञान लिया है। हरियाणा में कांग्रेस के दो विधायकों ने क्रॉस वोट किया। क्योंकि पार्टी उम्मीदवार अजय माकन को 31 में से केवल 29 वोट मिले और बीजेपी समर्थित निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा ने उन्हें मामूली अंतर से हराया।
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल ने कार्रवाई को लेकर पार्टी नेतृत्व से बात की है। इस बीच, बिश्नोई ने एक ट्वीट किया जिसमें लिखा था: फन कुचलने का हुनर आता है मुझे,
सांप के ख़ौफ़ से जंगल नही छोड़ा करते। सुप्रभात।
कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई राज्यसभा का मतदान शुरू होने से पहले ट्वीट किया था, जिससे इस परिवार की मनस्थिति का पता लगता है। ट्ववीट देखिए-
नाराजगी की वजह
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से वंचित किए जाने के बाद बिश्नोई पार्टी से नाराज थे और उन्होंने कहा था कि वह राहुल गांधी से मिलने के बाद ही निर्णय लेंगे लेकिन वो बैठक कभी नहीं हुई। कुलदीप बिश्नोई उस भजनलाल के बेटे हैं, जिन्होंने रातों रात पूरी कैबिनेट के साथ दलबदल किया था और देवीलाल को छोड़कर कांग्रेस से मिल गए थे। हरियाणा में आयाराम-गयाराम की कहावत उसी समय से मशहूर हो गई।
बहरहाल, हरियाणा में कांग्रेस की हार ने भूपिंदर सिंह हुड्डा को मुश्किल में डाल दिया है और पार्टी नेतृत्व इस पर विचार कर सकता है क्योंकि उन्होंने पार्टी को सीट जिताने का वादा किया था। तीनों सीटें जीतने वाली पार्टी के लिए सिर्फ राजस्थान के सीएम ही चमत्कार कर पाए।
रिटर्निंग अफसर की भूमिका
हरियाणा के रिटर्निंग अफसर की भूमिका इस चुनाव में विवादास्पद हो गई है। हरियाणा में कांग्रेस के दो विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की और एक वोट रद्द हुआ है। यानी तीन वोट खराब हुए। अब जरा इन तथ्यों पर नजर डालें तो तस्वीर काफी हद तक समझ में आ जाएगी। हरियाणा से बीजेपी उम्मीदवार कृष्ण लाल पंवार और बीजेपी-जेजेपी निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा जीते हैं।
हालांकि, इससे पहले, इन्हीं दोनों ने आश्चर्यजनक ढंग से हरियाणा के रिटर्निंग अफसर आर.के.नांदल के खिलाफ चुनाव आयोग को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि रिटर्निंग अफसर नांदल निष्पक्ष चुनाव नहीं करा रहे हैं। कांग्रेस विधायक किरण चौधरी और बी.बी. बत्रा ने अनधिकृत व्यक्तियों को चिह्नित करने के बाद अपने मतपत्र दिखाए। लेकिन चुनाव आयोग ने उनकी आपत्तियों को खारिज कर दिया और मतगणना फिर से शुरू करा दी गई।
अधिकारियों ने बताया कि हरियाणा विधानसभा के 90 सदस्यों में से 89 ने वोट डाला। निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू मतदान से दूर रहे।
लेकिन जब नतीजा आया तो आश्चर्यजनक ढंग से कार्तिकेय शर्मा जीत गए। उन्हें कांग्रेस की क्रॉस वोटिंग का और रद्द हुए मत का भी फायदा मिला। इस तरह रिटर्निंग अफसर के खिलाफ उन्होंने जो शिकायत की थी, अगर उसका संदर्भ देखें तो बात समझ में आ सकती है। चुनाव नतीजा उस कथित शिकायत से अलग आया है। अगर नांदल निष्पक्ष चुनाव नहीं करा रहे थे तो कार्तिकेय कैसे जीते और अगर नांदल कथित निष्पक्ष चुनाव करा रहे थे तो कार्तिकेय कैसे जीत गए। क्या बाद में किरण चौधरी के वोट को स्वीकार कर लिया गया और सिर्फ एक कांग्रेस विधायक (बीबी बत्रा) के वोट को रद्द कर दिया गया। कांग्रेस के इन वोटों की गुत्थी में कार्तिकेय की जीत छिपी है। कुल मिलाकर कार्तिकेय शर्मा का जीतना हैरानी वाला जरूर है। अगर कोई इस चुनाव को कोर्ट में चैलेंज करता है तो शायद तमाम तथ्य सामने आएं।
राज्यसभा के इस चुनाव ने हरियाणा में कांग्रेस की स्थिति को कमजोर किया है। पहले से गुटों में बंटी पार्टी की गुटबाजी ने एक जीती हुई सीट को हार में बदल दिया। देखना यह है कि कुलदीप बिश्नोई और किरण चौधरी पर कांग्रेस आलाकमान किस तरह की कार्रवाई करता है।
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