2024 के लोकसभा चुनाव से डेढ़ साल पहले विपक्षी दलों ने एकजुट होकर एक मंच पर आने की तैयारी शुरू कर दी है। इसी क्रम में हरियाणा की इंडियन नेशनल लोकदल यानी इनेलो ने 25 सितंबर को एक रैली रखी है। इस रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव शामिल होंगे। यह रैली फतेहाबाद में होगी। इस दिन पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल की जयंती भी है।
इनेलो के राष्ट्रीय महासचिव अभय चौटाला ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को बताया कि पार्टी प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला ने रैली में एनसीपी मुखिया शरद पवार, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और मेघालय के राज्यपाल सत्य पाल मलिक को आमंत्रित किया है।
चौटाला ने बताया कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी रैली में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा जाएगा।
अभय चौटाला ने कहा कि यह रैली न सिर्फ विपक्षी एकता का प्रतीक होगी बल्कि बीजेपी सरकार के खिलाफ लोगों की नाराजगी को भी जाहिर करेगी। हालांकि यह बड़ी बात है कि इनेलो ने अपनी इस रैली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के किसी नेता को आमंत्रित नहीं किया है।
दिल्ली दौरे पर हैं नीतीश
दूसरी ओर, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की मुहिम में जुटे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी तमाम दिग्गज नेताओं से ताबड़तोड़ मुलाक़ात कर रहे हैं। नीतीश सपा संस्थापक मुलायम सिंह व उनके पुत्र अखिलेश यादव, इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला, जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव के अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी. राजा से मिल चुके हैं। नीतीश का कहना है कि वह सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर लाना चाहते हैं।
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नीतीश सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से और उसके बाद जेडीएस के मुखिया एचडी कुमारस्वामी से भी मिले थे। कुछ दिन पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने पटना आकर नीतीश कुमार से 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता को मजबूत करने के मद्देनजर मुलाकात की थी।
बिखराव से कमजोर हुई इनेलो
एक वक्त में इनेलो हरियाणा के अंदर काफी मजबूत थी लेकिन पार्टी में हुए बिखराव के बाद इनेलो कमजोर पड़ गई है। 2018 में ओमप्रकाश चौटाला ने बड़े बेटे अजय चौटाला के दोनों बेटों यानी अपने पोतों दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला को इनेलो से बाहर कर दिया था। इसके बाद अजय चौटाला ने अपने बेटों के साथ मिलकर जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का गठन किया था। जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला हरियाणा की खट्टर सरकार में उप मुख्यमंत्री हैं।
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जेजेपी को अपने पहले ही विधानसभा चुनाव में जोरदार सफलता मिली थी और उसने 10 सीटें झटक ली थीं। इसका सीधा असर इनेलो पर पड़ा था और वह सिर्फ़ एक सीट हासिल कर सकी थी। जेजेपी का ग्राफ़ तेज़ी से ऊपर जा रहा था लेकिन किसान आंदोलन के दौरान बीजेपी के साथ बने रहने के कारण उसे बहुत विरोध झेलना पड़ा था।
जबकि दुष्यंत के चाचा अभय चौटाला ने विधायक पद से इस्तीफ़ा देकर किसानों की हिमायत हासिल कर ली थी और एलनाबाद से फिर से चुनाव जीत लिया था।
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एकजुट होंगे विपक्षी दल?
नीतीश कुमार कह रहे हैं कि उनका काम विपक्षी दलों को एकजुट करना है और अगर 2024 में विपक्ष एकजुट हुआ तो नतीजे अच्छे आएंगे। वह यह भी कह चुके हैं कि वह प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने की तमाम कोशिशें हुई थी लेकिन यह कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकी थीं।
तब तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोशिश की थी कि विपक्षी दलों को एकजुट किया जाए लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी ऐसा नहीं हो सका था।
देखना होगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले क्या विपक्षी दल एकजुट होंगे?
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