एक महत्वपूर्ण राजनीतिक बदलाव में, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के भतीजे रमित खट्टर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैं। यह घटनाक्रम रोहतक के विधायक भारत भूषण बत्रा की मौजूदगी में हुआ।
रामित के दलबदल को भाजपा के लिए एक उल्लेखनीय झटके के रूप में देखा जा रहा है, खासकर हरियाणा के प्रमुख नेता के साथ उनके पारिवारिक संबंधों को देखते हुए। इस घटनाक्रम का राज्य के राजनीतिक परिदृश्य पर प्रभाव पड़ सकता है। खट्टर को हरियाणा चुनाव में भाजपा ने एक तरफ कर दिया है। पोस्टरों और बैनरों से भी उनका नाम गायब है। हाल ही में कुरुक्षेत्र में पीएम मोदी की रैली में भी खट्टर न तो मंच पर थे और न ही रैली में उनकी कोई भूमिका थी।
मनोहर लाल खट्टर 6 महीने पहले तक हरियाणा के मुख्यमंत्री थे लेकिन बाद में भाजपा आलाकमान (मोदी-शाह) ने खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनवा दिया। भाजपा को इस बदलाव से चमत्कार की उम्मीद थी लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में कुरुक्षेत्र में पीएम मोदी की रैली फ्लॉप हो गई। राज्य में इस समय हवा भाजपा के खिलाफ है।
भाजपा को एक और झटका लगाः वरिष्ठ भाजपा नेता और हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (एचएसजीएमसी) के पूर्व महासचिव गुरविंदर सिंह धमीजा गुरुवार को कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। धमीजा ने राज्य के कई प्रमुख नेताओं के साथ, रोहतक में पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा की।
लोहगढ़ ट्रस्ट के अध्यक्ष धमीजा ने निराशा व्यक्त की कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के ड्रीम प्रोजेक्ट लोहगढ़ खालसा राजधानी को उनके कार्यकाल के बाद उपेक्षित किया गया है। उन्होंने कहा, ''मैं आज अपने दोस्तों और शुभचिंतकों के साथ कांग्रेस में शामिल हुआ हूं।'' धमीजा ने सैनिक स्कूल कुंजपुरा के अपने पूर्व सहपाठी हुड्डा के साथ सौहार्दपूर्ण संबंधों का हवाला दिया।
हुड्डा ने ही धमीजा को हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया था। उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में शहीद बाबा बंदा सिंह बहादुर के नाम पर चेयर की स्थापना के लिए हुड्डा की तारीफ की। कांग्रेस में शामिल होने वाले रमित खट्टर और गुरविंदर सिंह धमीजा के जाना भाजपा के लिए चुनाव के दौरान बड़ा झटका माना जा रहा है।
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