टोहाना से जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) विधायक देवेंद्र बबली ने कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की। उन्होंने सार्वजनिक सभा में ऐलान किया कि वो कांग्रेस की शैलजा को अपना समर्थन दे रहे हैं। उनके इस बयान के दो मतलब हैं। एक तो सीधे कांग्रेस का समर्थन और दूसरा यह समर्थन वो कुमारी शैलजा के जरिए दे रहे हैं। इससे पहले बबली ने अपने इलाके के मतदाताओं से एक जनमत सर्वे के जरिए पूछा था कि वो किस पार्टी का रुख करें। अधिकांश ने उनसे जेजेपी छोड़ने और भाजपा में न जाने को कहा था। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का रुख किया। लेकिन कांग्रेस में उनको यह ठिकाना कुमारी शैलजा के यहां मिला। हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के अलग-अलग गुट हैं। प्रदेश कांग्रेस पर हुड्डा का ही कब्जा है।
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जेजेपी में बबली शुरू से ही पार्टी अध्यक्ष दुष्यंत चौटााल की नीतियों का विरोध करते रहे हैं। बबली का दावा है कि जेजेपी के कुल 10 में से 6 विधायकों का उन्हें समर्थन हासिल है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि जेजेपी का कांग्रेस में विलय भी संभव है। हरियाणा की राजनीति तेजी से बदल रही है। 25 मई को राज्य में 10 लोकसभा सीटों पर मतदान है। कांग्रेस शुरू से ही मजबूत स्थिति में है।
हरियाणा में इस समय हो रही राजनीतिक गतिविधियों का संबंध लोकसभा चुनाव से ज्यादा छह महीने बाद होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से है। उसके लिए समीकरण और राजनीतिक बिसात अभी से बिछाई जा रही है। रविवार का घटनाक्रम भी विधानसभा चुनाव से जुड़ा हुआ है।
हरियाणा में इस समय भाजपा सरकार अल्पमत में है। लेकिन न तो राज्यपाल विधानसभा में मुख्यमंत्री नायब सैनी से बहुमत सिद्ध करने को कह रहे हैं और न ही भाजपा किसी तरह भी विधानसभा सत्र बुलाने की मांग कर रही है। हरियाणा में 7 मई को भाजपा को बड़ा झटका लगा था। तीन निर्दलीयों ने भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को बाहर से समर्थन दे दिया था। दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद से इन्हीं निर्दलीयों के समर्थन से बीजेपी सरकार चल रही थी। इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद बीजेपी को न सिर्फ़ लोकसभा चुनाव में बड़े नुक़सान की आशंका है, बल्कि राज्य में भी सरकार अल्पमत में आ गई है।
जिन विधायकों ने भाजपा का साथ छोड़ा था उनमें चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान, पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन और नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर शामिल हैं। इन विधायकों ने हरियाणा सरकार से अपना समर्थन वापस लेते हुए महंगाई बढ़ने और बेरोजगारी का मुद्दा उठाया था।
हरियाणा में 90 सदस्यीय विधानसभा में दो सीटें खाली हैं। भाजपा के पास अपने 40 विधायक हैं। कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं। बहुमत के लिए 45 विधायक होने चाहिए। 2 निर्दलीय और 1 विधायक हरियाणा लोकहित पार्टी का समर्थन भी भाजपा को है। इस तरह बहुमत के लिए भाजपा को अभी भी दो विधायकों की ज़रूरत है। कांग्रेस को 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिलने के बाद 33 विधायक हो गए हैं। जेजेपी के पास 10 विधायक हैं। एक विधायक आईएनएलडी का है। इस तरह भाजपा अब बहुमत खो चुकी है। जेजेपी के 6 विधायक अगर टूटकर कांग्रेस में आते हैं या समर्थन देते हैं तो कांग्रेस सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है।
कांग्रेस सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेगी
हरियाणा कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस हरियाणा में सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेगी। क्योंकि राज्य विधानसभा चुनाव में सिर्फ 6 महीने बाकी है। छह महीने पहले सरकार बनाकर वो 10 साल की भाजपाई नाकामी का श्रेय खुद पर नहीं लेना चाहेगी। हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि इस समय सरकार बनाना नासमझी होगी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के भी बयान इसी तरह का संकेत दे रहे हैं। हुड्डा की कोशिश है कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी खुद ही इस्तीफा दे दें। बहरहाल, हरियाणा की राजनीति कब किस तरफ मुड़ जाए, कुछ भी नहीं हो सकता। अभी सिर्फ इतना ही है कि बबली के समर्थन से माहौल कांग्रेस के पक्ष में और भी बेहतर ढंग से बनने जा रहा है।
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