हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए किसानों और खाप पंचायतों ने पहल की है। हिंसा के कुछ दिनों बाद कई किसान संघों और खाप पंचायतों ने शांति की अपील की है और गौरक्षक मोनू मानेसर की गिरफ्तारी की मांग की है।
नूंह में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल द्वारा निकाली गई एक धार्मिक शोभायात्रा के दौरान हिंसा हुई थी। हिंसा से एक दिन पहले मोनू मानेसर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कहा था कि वह 'शोभायात्रा' में भाग लेगा और लोगों से बड़ी संख्या में इसमें शामिल होने के लिए कहा था। हालाँकि, मानेसर उसमें शाामिल नहीं हो पाया था। 31 जुलाई को नूंह में हुई झड़पों के बाद हिंसा में अब तक छह लोग मारे गए। मृतकों में दो होम गार्ड और एक धर्मगुरु भी शामिल थे।
मोनू मानेसर इस साल की शुरुआत में दो मुस्लिम व्यक्तियों की हत्या में कथित भूमिका के लिए वांछित है। मृतकों के रिश्तेदारों द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में मानेसर का नाम सामने आया था। उन दोनों को कथित तौर पर राजस्थान से अपहरण कर लिया गया था। बाद में जिस कार में वे यात्रा कर रहे थे, उसमें हरियाणा में उनके जले हुए शव पाए गए थे।
हरियाणा के खापों, किसान संघों और धार्मिक नेताओं की एक बड़ी सभा ने बुधवार को हिंसा की निंदा करने के लिए हिसार में एक 'महापंचायत' आयोजित की और क्षेत्र में शांति और सद्भाव के लिए कई प्रस्ताव पारित किए। भारतीय किसान मजदूर संघ द्वारा आयोजित इस महापंचायत में हिंदू, मुस्लिम और सिखों ने भाग लिया। बैठक में संकल्प लिया गया कि सभी धर्मों के लोग शांति बहाल करने के लिए काम करेंगे।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और झज्जर जिलों में कुछ पंचायत प्रमुखों द्वारा कथित तौर पर लिखे गए पत्र ऑनलाइन सामने आए हैं। पत्रों में दावा किया गया था कि पंचायतों ने मुस्लिम व्यापारियों को उनके गांवों में व्यापार करने पर प्रतिबंध लगा दिया।
रिपोर्ट के अनुसार नूंह में सांप्रदायिक हिंसा से निपटने के हरियाणा सरकार के तरीक़े की किसान यूनियनें आलोचना करती रही हैं, जबकि खापों की मिश्रित प्रतिक्रिया रही है। कुछ खापों ने मुस्लिम व्यापारियों के बहिष्कार का समर्थन किया है, जबकि अन्य ने हिंसा की निंदा की है और मानेसर की गिरफ्तारी की मांग की है। मुख्य रूप से जाट समुदाय से जुड़ी खापें मानेसर की गिरफ्तारी की मांग कर रही हैं और सांप्रदायिक सौहार्द की अपील कर रही हैं।
झड़पों के सिलसिले में अब तक 113 एफआईआर दर्ज की गई हैं और 305 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
बता दें कि मोनू मानेसर का नाम हिंसा में एक वीडियो को लेकर सामने आ रहा था। सोशल मीडिया पर ऐसी चर्चा है जिससे संकेत मिलते हैं कि मोनू मानेसर की संभावित भागीदारी भी एक वजह रही जिसके कारण धार्मिक शोभायात्रा में बवाल हुआ। हिंसा से एक दिन पहले मोनू मानेसर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कहा था कि वह 'शोभायात्रा' में भाग लेगा और लोगों से बड़ी संख्या में इसमें शामिल होने के लिए कहा था। समझा जाता है कि इससे तनाव बढ़ गया।
कहा जाता है कि लोगों में मोनू मानेसर को लेकर पहले से ही गु़स्सा था। मोनू मानेसर बजरंग दल का सदस्य और गुड़गांव में हरियाणा सरकार की गाय संरक्षण टास्क फोर्स का चेहरा है। उसका असली नाम मोहित यादव है, लेकिन उसे मोनू मानेसर के नाम से भी जाना जाता है। उसका नाम तब बड़े पैमाने पर सामने आया था जब फ़रवरी महीने में कथित तौर पर दो मुस्लिमों की हत्या हुई थी।
हालाँकि इन आरोपों के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप में मोनू ने कहा था, 'हमारे खिलाफ जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे निराधार हैं। जहां घटना हुई वहां बजरंग दल की कोई टीम नहीं थी। इसमें बजरंग दल का कोई भी सदस्य शामिल नहीं है। जैसा कि हमने सोशल मीडिया पर देखा, यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और किसी को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए।'
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