मौजूदा चुनाव नतीजों का विश्लेषण करें तो कांग्रेस और उसकी सहयोगी आम आदमी पार्टी ने राज्य के 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 46 में बढ़त बना ली। यानी अगर ये विधानसभा चुनाव होता तो राज्य में कांग्रेस-आप की सरकार बन गई होती। हालांकि भाजपा और दोनों गठबंधन दलों के वोट शेयर में ज्यादा फर्क नहीं है। भाजपा ने हरियाणा में 46.11 फीसदी वोट शेयर प्राप्त किया और इडिया गठबंधन ने 47.61 फीसदी वोट शेयर प्राप्त किया। अगर इन्हें अलग-अलग देखना हो तो कांग्रेस को 43.67 फीसदी और आप का 3.94 फीसदी वोट शेयर है। आप ने सिर्फ कुरूक्षेत्र की सीट पर चुनाव लड़ा था जबकि कांग्रेस ने बाकी नौ सीटों पर लड़ाई लड़ी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा ने सिरसा में भाजपा के अशोक तंवर को 2.68 लाख वोटों से और दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने रोहतक में भाजपा के अरविंद शर्मा को 3.45 लाख वोटों से हराया। इसी तरह जय प्रकाश ने हिसार में भाजपा प्रत्याशी रणजीत सिंह को 63,381 वोटों से, वरुण चौधरी ने अंबाला में 49,036 वोटों से और सतपाल ब्रह्मचारी ने सोनीपत में 21,816 वोटों से जीत हासिल की। जो खास बात है वो ये है कि शैलजा और दीपेंद्र हुड्डा को सिरसा और रोहतक के सभी 9 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली यानी भाजपा से ज्यादा वोट पाए। अन्य सीटों में, कांग्रेस उम्मीदवारों को अंबाला में 9 में से पांच, सोनीपत में 9 में से चार और हिसार में 9 में से छह विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा से ज्यादा वोट मिले।
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हरियाणा में सिर्फ करनाल लोकसभा सीट ऐसी है जिसकी सभी 9 विधानसभा सीटों पर भाजपा के मनोहर लाल खट्टर को बढ़त मिली। खट्टर को चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री पद से हटाकर करनाल से उतारा गया था। यह मोदी-अमित शाह का फैसला था। जिस पैराशूट के सहारे खट्टर हरियाणा में उतारे गए थे, उसी से वापस चले गए। करनाल से वो जीत चुके हैं लेकिन रुतबा खत्म हो गया है। केंद्र में मंत्री बनते हैं या नहीं, अभी यह भी साफ नहीं है।
अक्टूबर 2019 में जिन 10 विधानसभा क्षेत्रों में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने जीत हासिल की, उनमें से 9 पर कांग्रेस को बढ़त मिली। सिर्फ बरवाला में भाजपा को 11,657 वोटों की बढ़त मिली। यानी विधानसभा में भी जेजेपी की हवा निकल गई। अगले विधानसभा चुनाव में जेजेपी का भविष्य धूमिल है। कांग्रेस के जय प्रकाश ने दुष्यन्त चौटाला की उचाना सीट पर अपने भाजपा प्रतिद्वंद्वी से 37,319 वोटों से बढ़त बनाई, जबकि एक अन्य कांग्रेसी राव दान सिंह नैना चौटाला की बाढड़ा सीट पर भाजपा उम्मीदवार से 27,102 वोटों से आगे रहे। इस तरह दुष्यंत चौटाला अपनी और अपनी मां की विधानसभा सीट पर ही लोकसभा में बढ़त नहीं दिलवा सके। बाकी सीटें तो बाद में आती हैं।
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