डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को उसी के आश्रम की साध्वियों से दुष्कर्म में सजा सुनाए जाने के बाद जिस तरह का तांडव नाच उसके समर्थकों ने किया था, उस ख़ौफ़नाक मंजर को भुला पाना शायद लोगों के लिए कभी आसान नहीं होगा। राम रहीम को सजा सुनाए जाने के बाद पंचकूला समेत कई जगहों पर दंगे, आगजनी और तोड़फोड़ हुई थी। आइए, एक बार फिर समझने की कोशिश करते हैं कि उस दिन राम रहीम के समर्थकों ने कितने बड़े पैमाने पर हिंसा को अंजाम दिया था।
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पंचकूला शहर का उस दिन का मंजर बेहद ख़तरनाक था। तारीख़ थी 25 अगस्त 2017। राम रहीम को सजा सुनाई जानी थी और उसके हजारों समर्थकों ने पूरे शहर पर कब्जा किया हुआ था। राम रहीम के मामले की कवरेज करने के लिए देशभर के पत्रकारों का जमावड़ा लगा हुआ था। राम रहीम के ख़िलाफ़ फ़ैसला आने पर हिंसा की आशंका तो थी ही, इसलिए भारी संख्या में सुरक्षा बल भी शहर में तैनात किया गया था। इसके अलावा हरियाणा-पंजाब में भी प्रशासन रेड अलर्ट पर था।
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दोपहर लगभग तीन बजे का समय रहा होगा। जैसे ही राम रहीम को दोषी सुनाने का फ़ैसला आया भीड़ उग्र होने लगी। बाबा के समर्थकों ने सबसे पहले मीडिया के वाहनों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। यह ऐसा तांडव था जिसने यह दिखा दिया कि बाबा के समर्थक पूरी रणनीति के साथ अदालत में आए थे। उन्होंने कई मीडिया कर्मियों को पीटा और 100 से ज़्यादा गाड़ियों में आग लगा दी थी। इनमें मीडिया की ओबी वैन्स भी शामिल थी।
अदालत के फ़ैसले से ग़ुस्साए लोग आगबबूला थे। वे सब कुछ तोड़ डालने पर उतारू थे। हालात संभालने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल शुरू किया। लेकिन भीड़ ने उग्र रूप धारण कर लिया था और वह पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों पर हमला करने की कोशिश करने लगी। इसके बाद बाबा के समर्थकों ने पूरे शहर में तांडव मचाया और कई वाहनों को आग लगा दी थी। समर्थकों के सिर पर मानो ख़ून सवार था और जो कुछ उनके रास्ते में आया, उन्होंने उसे तहस-नहस कर दिया। उपद्रवियों ने लाखों रुपये की सम्पत्ति को जला दिया। हिंसा इतनी ज़्यादा बढ़ गई थी कि पुलिस को गोलियाँ चलानी पड़ीं और इसमें 42 लोगों की मौत हो गई थी।
पंचकूला से शुरू हुई हिंसा पंजाब के बठिंडा, मनसा और मुक्तसर तक फैल गयी थी। एहतियात के तौर पर दिल्ली, पश्चिमी यूपी, उत्तराखंड तक धारा 144 लगानी पड़ी थी। कई जिलों में तमाम स्कूलों व कॉलेजों को बंद करना पड़ा था। खट्टर सरकार इस हिंसा से निपटने में पूरी तरह विफल रही थी। बस और रेल सेवा को भी रोकना पड़ा था।
लेकिन अब डेरा प्रमुख को ही पैरोल दिलाने के लिए राज्य सरकार जुट गई है। इसके अलावा बीजेपी डेरा का समर्थन भी चाहती है। ख़ुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी कहा है कि हम डेरा सच्चा सौदा का समर्थन चाहेंगे। बाबा की राज्य में राजनैतिक हैसियत है और बीजेपी को 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में डेरे का साथ मिला था और राज्य में उसकी सरकार बनी थी।
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