कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आन्दोलन चला रहे किसानों ने शनिवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के घर के बाहर ज़ोरदार प्रदर्शन किया। पुलिस ने उन्हें तितर- बितर करने के लिए वॉटर कैनन का प्रयोग किया।
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आन्दोलन के तहत हरियाणा के मुख्यमंत्री के घर के बाहर प्रदर्शन पहले से तय था।
इस मौके पर सैकड़ों किसान मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के बाहर जमा होकर नारेबाजी करने लगे। पुलिस ने उन्हें पहले रोकने की कोशिश की और उसके बाद यकायक वॉटर कैनन चला दिया।
कई किसानों को वॉटर कैनन की चोट से ज़मीन पर गिरते हुए देखा गया है तो कई लोगों ने यहाँ वहां भाग कर जान बचाई।
किसानों ने इसके अलावा हरियाणा की अनाज मंडियों पर जगह-जगह प्रदर्शन किए हैं।
क्या है वजह?
हरियाणा में पुलिस और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच लगातार दूसरे दिन झड़प हुई है।
इसके पहले करनाल में भी ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन हुआ है।
हरियाणा के किसानों की नाराजगी की तात्कालिक वजह केन्द्र सरकार का वह फ़ैसला है जिसमें हरियाणा और पंजाब सरकार से कहा गया है कि वे सितंबर में हुई भारी बारिश की वजह से धान की खरीद रोक दें।
केंद्र सरकार ने कहा है कि भारी बारिश की वजह से धान में नमी है, इसलिए धान की खरीद 11 अक्टूबर से शुरू की जाए।
बता दें कि हरियाणा में धान की खरीद 25 सितंबर से शुरू होती है वहीं पंजाब में धान की खरीद 1 अक्टूबर से होती है।
दूसरी ओर, किसानों का कहना है धान की खरीद तुरन्त शुरू की जाए।
करनाल का किसान आन्दोलन
याद दिला दें कि इसके पहले यानी सितंबर के पहले सप्ताह में हरियाणा के किसानों ने ज़ोरदार आन्दोलन चलाया था।
'सिर तोड़ने' का आदेश देने वाले एसडीएम के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की माँग को लेकर हरियाणा के करनाल में चल रहा किसान आन्दोलन चौथे दौर की बातचीत के बाद ख़त्म हुआ।
हरियाणा सरकार ने कहा कि वह एक रिटायर्ड जज की अगुआई में एक जाँच कमेटी गठित करेगी, जो 28 अगस्त को करनाल में किसानों पर हुई पुलिस कार्रवाई पर अपनी रिपोर्ट देगी।
करनाल के तत्कालीन सब डिवीज़नल मजिस्ट्रेट आयुष सिन्हा की इसमें भूमिका की भी जाँच की जाएगी।
इस जाँच रिपोर्ट के आने तक आयुष सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे।
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