पंजाब और दिल्ली में शासन करने वाली आम आदमी पार्टी को हरियाणा विधानसभा चुनाव में जबरदस्त झटका लगा है। दोपहर साढ़े बारह बजे तक जो रुझान है, उसमें AAP के लिए कहीं से कोई उम्मीद की किरण नहीं है। ये नतीजे दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले आये हैं। अब उसे कांग्रेस से गठबंधन करने में दिक्कत आयेगी, क्योंकि उसने हरियाणा में ज्यादा सीटें मांगी थीं। कांग्रेस ने उसे एक भी सीट नहीं दी। हरियाणा में आप ने 89 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। उसका कहीं खाता नहीं खुला। चुनाव आयोग के मुताबिक राज्य में आप को कुल 1.77 फीसदी वोट मिले।
दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर में आप को एक सीट मिली है। आम आदमी पार्टी के मेराज मलिक ने डोडा विधान सीट जीत ली है। मलिक ने दिसंबर 2020 में स्थानीय निकाय चुनावों में भी आप को जम्मू-कश्मीर में पहली बार चुनावी जीत दिलाई थी। निर्धारित 13 राउंड की गिनती के बाद आप नेता भाजपा के गजय सिंह राणा से 4,538 वोटों से आगे रहे और नेशनल कॉन्फ्रेंस के खालिद नजीब सुहरवर्दी को 9,894 वोटों से हराया।
डोडा सीट 2014 के चुनाव में भाजपा के शक्ति राज ने जीती थी, लेकिन 1962 में पहले चुनाव के बाद से पारंपरिक रूप से नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच घूमती रही है। पहली बार आप का कब्जा हुआ है।
हरियाणा में कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने आप से गठबंधन करने के खिलाफ राय दी थी। हालांकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी इसके पक्ष में थे। राहुल का मानना था कि इससे वोटों का विभाजन रुक जाएगा और विपक्ष के पास बीजेपी को हराने का सबसे अच्छा मौका है। लेकिन बाद में आप की ओर से बयानबाजी ने गठबंधन की संभावनाओं को किनारे कर दिया।
गठबंधन की चर्चाओं के विफल होने से कांग्रेस को सात सीटों - कलायत, रानिया, पेहवा, बरवाला, जींद, भिवानी और गुड़गांव में नुकसान होने की उम्मीद थी, लेकिन स्पष्ट नतीजे आने पर पता चलेगा कि इन सीटों पर आप कितना प्रभाव डाल पाई है। हालांकि अभी जो रुझान हैं उसमें कांग्रेस और भाजपा का ही दबदबा है। तीसरे नंबर पर निर्दलीय हैं। आप का कहीं कोई जिक्र नहीं है।
हरियाणा के नतीजे आप के लिए इसलिए मायने रखते हैं कि दिल्ली के चुनाव में उतरने पर वो अपने वोट शेयर का जिक्र कर सकती थी। लेकिन चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि 2019 जैसी दोहराने की उम्मीद लग रही है। हरियाणा के नतीजे ऐसे समय आ रहे हैं जब अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी है और अपनी लोकप्रियता पर भरोसा करते हुए कहा है कि वह यह पद तभी संभालेंगे जब अगले साल विधानसभा चुनाव के बाद आप सरकार बनाएगी। लेकिन तस्वीर बदल चुकी है। दिल्ली में हरियाणा के लोगों की आबादी काफी है। बहुत बड़ी संख्या में लोग सरकारी नौकरियों में हैं। आप हरियाणा के इन लोगों से दिल्ली में किस आधार पर अब वोट मांगेगी।
हालांकि दिल्ली विधानसभा का चुनाव अलग मुद्दों और समीकर पर लड़ा जाएगा लेकिन अगर पार्टी हरियाणा में एक भी सीट जीतने में विफल रहती है, तो इससे कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ने की आशंका है। आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव में हरियाणा की एकमात्र कुरुक्षेत्र सीट भी हार गई थी, जिस पर उसने चुनाव लड़ा था और साथ ही दिल्ली में उन सभी चार सीटों पर भी हार गई थी, जिन पर उसने चुनाव लड़ा था। ये आंकड़े कहीं से भी आप का समर्थन नहीं कर रहे हैं।
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