Covid19 mortality rate:
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 16, 2020
Gujarat: 6.25%
Maharashtra: 3.73%
Rajasthan: 2.32%
Punjab: 2.17%
Puducherry: 1.98%
Jharkhand: 0.5%
Chhattisgarh: 0.35%
Gujarat Model exposed.https://t.co/ObbYi7oOoD
गुजरात की नाकामियाँ
याद दिला दें कि इसके पहले भी कोरोना रोकथाम में गुजरात सरकार की नाकामियों और वहाँ की बदतर स्वास्थ्य सेवाओं व स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी की ख़बरें लगातार आती रही हैं।हाई कोर्ट की तल्ख़ टिप्पणी
कोरोना से जुड़ी कई जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए जस्टिस जे. बी. परडीवाला और जस्टिस इलेश वोरा के खंडपीठ ने राज्य सरकार को कई तरह के दिशा निर्देश दिए थे।अदालत ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की तुलना ‘डूबते हुए टाइटनिक जहाज़’ से करते हुए कहा, यह बहुत ही परेशान करने वाला और दुखद है कि आज की स्थिति में अहमदाबाद के सिविल अस्पताल की स्थिति बहुत ही दयनीय है।
“
'अस्पताल रोग के इलाज के लिए होता है, पर ऐसा लगता है कि आज की तारीख़ में अहमदाबाद सिविल अस्पताल की स्थिति काल कोठरी जैसी है, शायद उससे भी बदतर है।’
गुजरात हाई कोर्ट की टिप्पणी
कम टेस्ट
इतना ही नहीं, गुजरात सरकार ने जान बूझ कर कम कोरोना टेस्ट किए। उसका तर्क था कि अधिक लोगों के कोरोना टेस्ट होने से लोगों में डर फैल जाएगा।“
‘सरकार का यह तर्क ग़लत है कि ज़्यादा जाँच होने से राज्य की 70 प्रतिशत आबादी के इसकी चपेट में आने की बात सामने आएगी, जिससे लोगों में भय फैलेगा। इस आधार पर कोरोना जाँच से इनकार नहीं किया जा सकता है।’
गुजरात हाई कोर्ट की टिप्पणी
क्या कहा था रेज़िडेन्ट डॉक्टर ने?
हाई कोर्ट की इस तीखी टिप्पणी के पहले ही गुजरात सरकार की नाकामियों की ख़बरें सामने आ रही थीं।उस चिट्ठी में आरोप लगाया गया था कि ‘अस्पताल प्रशासन ने पूरा बोझ जूनियर डॉक्टरों और रेज़ीडेन्ट डॉक्टरों पर डाल रखा है। सीनियर डॉक्टर गायब हैं, वे न तो इलाज करते हैं न ही राउंड पर जाते हैं। सारा काम करने के बावजूद रेज़ीडेंट डॉक्टरों को सामान्य सुविधाएँ भी नहीं दी जा रही हैं।’ गुजरात हाईकोर्ट ने इस चिठ्ठी की स्वत: संज्ञान लिया और सरकार को तगड़ी फटकार लगायी।
ख़त में आरोप लगाया गया था, ‘हमें न तो पीपीई किट दिया जाता है न ही एन 95 मास्क। प्रसूति विभाग में सामान्य डेलीवरी के दौरान डॉक्टरो को ग्लव्स तक नहीं दिया जाता है। इसके लिए बहाने बनाए जाते हैं।’
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