बीजेपी 27 साल से गुजरात की सत्ता में है। क्या इस बार वह फिर सत्ता में लौटेगी या फिर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी उसकी राह मुश्किल करेंगे। जानिए मतदान से जुड़े ताजा अपडेट्स।
क्या गृहमंत्री अमित शाह को भी अब यह लगने लगा है कि कट्टरपंथ हर संप्रदाय में दिखने लगा है और यह किसी धर्म विशेष तक सीमित नहीं है? आख़िर उन्होंने क्यों कहा कि कट्टरपंथ एक संप्रदाय तक सीमित नहीं है?
बीजेपी की ओर से नरेंद्र मोदी को कांग्रेस नेताओं के द्वारा दी गई गालियों की पैकेजिंग करके गुजरात के लोगों के सामने पेश किया गया है। इन गालियों को सुनाने का मकसद क्या है? नरेंद्र मोदी को गुजरात का बेटा बताते हुए सहानुभूति जुटाना और मतदाताओं का वोट पाना?
गुजरात में बीजेपी को क्या उन बड़े नेताओं की ओर से है भितरघात की आशंका है जिन्हें इस बार उम्मीदवार नहीं बनाया है या पहले भी जिन्हें चुनाव लड़ने से रोका गया था?
गुजरात में कांग्रेस पिछले 27 साल से सत्ता से बाहर है। कहा जा रहा है कि इस बार आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम भी उसके वोटों में सेंध लगा सकते हैं। आम आदमी पार्टी से सिर्फ कांग्रेस को नुकसान होगा या फिर वह बीजेपी को भी नुकसान पहुंचाएगी?
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन पर पत्थर फेंके गए। उन्होंने पूछा कि उनका क्या कसूर है। केजरीवाल ने कहा कि 27 साल में अगर आप कुछ काम कर लेते तो पत्थर फेंकने की जरूरत नहीं पड़ती।
पिछले महीने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए मल्लिकार्जुन खड़गे की गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बड़ी परीक्षा होनी है। उन्होंने अछूत वाला बयान क्यों दिया?
गुजरात विधानसभा चुनाव के आखिरी हफ्ते में इस किस्म के संदेश दिए जा रहे हैं कि बीजेपी की हार नहीं हो सकती। इसी तथ्य का विश्लेषण पत्रकार प्रेम कुमार ने अपने इस लेख में किया है।
गुजरात में चुनाव ड्यूटी पर आए पैरा मिलिट्री फोर्स के जवानों का आपस में झगड़ा हुआ। उनके एक साथी ने एके 47 से फायरिंग कर दी, जिसमें दो जवान मारे गए। घटना पोरबंदर में शनिवार शाम 7 बजे हुई थी। अभी तक घटना की वजह सामने नहीं आई हैः
गुजरात के विधानसभा चुनाव में मतदान के लिए कुछ ही दिनों का वक्त और रह गया है और उससे ठीक पहले बीजेपी को आखिर 2002 के गुजरात दंगों या एंटी रेडिकलाइजेशन सेल बनाने का वादा क्यों करना पड़ रहा है।
गुजरात में ध्रुवीकरण की तमाम कोशिशों के बावजूद आखिर मुस्लिम उस तरह की प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं जैसा नेता और मीडिया उम्मीद कर रहे हैं। क्या है वजह, पढ़िए ये रिपोर्टः
2002 के वीभत्स गुजरात दंगों की याद देश के गृहमंत्री अमित शाह ने फिर से दिला दी है। इसे गुजरात के मौजूदा विधानसभा चुनाव के दौरान याद दिलाया गया है। दो दशक बीच चुके हैं। एक पूरी नई पीढ़ी सामने आ चुकी है, क्या वो इन दंगों का सच जानती है, उस दंगे को जानने की जरूरत हैः
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नरोदा पाटिया का, गुलबर्ग सोसाइटी का और बेस्ट बेकरी का, हम आपका कौन-कौन सा सबक याद रखेंगे। लेकिन सवाल यह है कि गुजरात में लगातार जीत रही बीजेपी ने चुनाव के मौके पर गुजरात दंगों की बात क्यों की।
गुजरात चुनाव में अब क्या '2002 के दंगे' पर बयानबाजी़ शुरू होगी? आख़िर गृहमंत्री अमित शाह ने '2002 में सबक़ सिखाने' का ज़िक्र क्यों किया? जानिए इसके क्या मायने हैं।