गुजरात के अहमदाबाद और सूरत में कोरोना वायरस के तेज़ी से फैलने पर लॉकडाउन में सख़्ती की गई है। दूध और दवा की दुकानों को छोड़कर सभी प्रतिष्ठान एक हफ़्ते के लिए बंद रहेंगे।
गुजरात के अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल में धर्म के आधार पर कोरोना वार्ड बनाने की ख़बर आने के बाद लगता है कि अब इस मामले में लीपापोती का प्रयास शुरू हो गया है।
कोरोना वायरस धर्म देखकर तो लोगों को संक्रमित नहीं कर रहा है, लेकिन गुजरात के अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल में धर्म के आधार पर कोरोना वार्ड ज़रूर बना दिये गये हैं। यानी हिंदू के लिए अलग वार्ड और मुसलिम के लिए अलग। यह कैसा आदेश है?
गोमूत्र से कोई फ़ायदा होता है या नहीं, इसकी वैज्ञानिक पुष्टि भले ही नहीं हुई हो, लेकिन कोरोना वायरस के फैलने के बाद गुजरात में गोमूत्र की माँग काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई है। ऐसी रिपोर्टें हैं कि हर रोज़ हज़ारों लीटर की बिक्री हो रही है।
अहमदाबाद में ठेले पर हरी सब्जियाँ बेचने वालों पर पुलिस की बर्बरता का मामला सामने आया है। सोशल मीडिया पर वायरस एक वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी ठेले पर सब्जी बेचने वालों पर डंडे बरसाना शुरू कर देते हैं।
सूरत में कपड़ा फ़ैक्ट्री के मज़दूरों को अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों के लिए पलायन करने से रोकने पर हिंसा हो गई। यह घटना रविवार शाम की है।
आख़िर प्रधानमंत्री मोदी का गुजरात मॉडल क्या है? ग़रीबी छुपाना? या ग़रीबी दूर नहीं कर ग़रीबों को ही हटा देना? ऐसा नहीं है तो अहमदाबाद में झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने के लिए लोगों को नोटिस क्यों दिया गया है?
गुजरात के हीरा उद्योग में बीते दो साल से मंदी छाई हुई है। नोटबंदी के बाद शुरु हुआ संकट जीएसटी लागू होने के बाद और गहरा हो गया, 60 हज़ार लोगों की नौकरी चली गई है।