गुजरात हाई कोर्ट ने अहमदाबाद नगर निगम को फटकार लगाते हुए कहा है कि वह इस बात का फ़ैसला कैसे कर सकती है कि किसी को क्या खाना चाहिए। अदालत ने यह टिप्पणी रेहड़ी लगाने वालों की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरूवार को की। इन लोगों की रेहड़ियों को अहमदाबाद नगर निगम ने जब्त कर लिया था। क्योंकि कुछ पार्षदों ने इस बात की शिकायत की थी कि रेहड़ियों में नॉन वेज खाना बिकता है।
हाई कोर्ट ने नगर निगम से कहा कि वह इस बारे में जल्द विचार करे।
सुनवाई के दौरान अदालत ने नगर निगम के वकील से कहा, “आपकी क्या दिक़्कत है। आप नॉन वेज खाना पसंद नहीं करते, ये आपका मामला है। आप यह कैसे तय कर सकते हैं कि मैं बाहर क्या खाऊं। कल को आप यह भी तय करने लगेंगे कि मुझे अपने घर के बाहर जाकर क्या खाना चाहिए।”
अदालत ने कहा कि कल को नगर निगम कहेगा कि मुझे गन्ने का जूस नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे डायबिटीज होती है या कॉफ़ी न पीयें क्योंकि यह सेहत के लिए ख़राब है।
नगर निगम का तर्क
नगर निगम के वकील ने कहा कि याचिका दायर करने वालों को कुछ ग़लतफहमी हुई है और नॉन वेज की सभी रेहड़ियों को हटाने के लिए कोई अभियान नहीं चलाया गया है बल्कि हटाने की वजह सड़कों पर अतिक्रमण है और इस वजह से आने-जाने का रास्ता बंद हो जाता है।
अहमदाबाद नगर निगम की टाउन प्लानिंग कमेटी ने नवंबर में यह फ़ैसला लिया था कि शहर में सार्वजनिक जगहों पर नॉन वेज बेचने वाली रेहड़ियां नहीं लगेंगी। धार्मिक स्थलों, गार्डन्स, स्कूलों और कॉलेजों के 100 मीटर के दायरे में भी इन चीजों की बिक्री रोक दी गई थी।
पहचान और संस्कृति का हवाला
नॉन वेज बेचने वाली रेहड़ियों पर रोक के लिए नगर निगम की रेवेन्यू कमेटी के चेयरमैन जैनिक वकील ने निगम को पत्र लिखा था और इसमें उन्होंने गुजरात की पहचान और अहमदाबाद की संस्कृति का हवाला दिया था।
निगम की टाउन प्लानिंग कमेटी के चेयरमैन देवांग दानी ने कहा था कि अगर कोई रेहड़ी वाला इस आदेश को नहीं मानता है तो उसकी रेहड़ी को जब्त कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि इस बारे में आम लोगों की ओर से रेहड़ियों से बदबू आने की शिकायतें मिल रही थीं, उसके बाद ही यह फ़ैसला लिया गया है।
उत्तर प्रदेश के मथुरा में, हरियाणा के गुड़गांव में और असम में भी ऐसे ही आदेश दिए जा चुके हैं। इन सभी राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं।
अपनी राय बतायें