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गुजरात में इन दिनों विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार जोर-शोर से चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी जनसभा में कांग्रेस नेता मधुसूदन मिस्त्री के औकात वाले बयान को मुद्दा बना लिया। कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया था कि अगर वह गुजरात की सत्ता में आई तो गांधीनगर में नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदलकर सरदार वल्लभभाई पटेल स्टेडियम कर देगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस ऐसा कर सकती है, मिस्त्री ने कहा था, 'हां, हम नाम बदल देंगे। हम मोदी को उसकी औकात दिखा देंगे।”
इसके जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरेंद्र नगर में आयोजित जनसभा में कहा कि वह तो एक सेवादार हैं और सेवादार की कोई औकात नहीं होती। मोदी के इस बयान के बाद पूछा जा रहा है कि क्या प्रधानमंत्री एक बार फिर विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं?
मोदी ने कुछ दिन पहले तेलंगाना में एक सभा में कहा था कि उन्हें हर रोज 2 से 3 किलो गालियां मिलती हैं और उनका शरीर इसे न्यूट्रिशन में बदल देता है। तेलंगाना में जल्द ही विधानसभा के चुनाव होने हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे पहले भी कई बार चुनावी मौकों पर कह चुके हैं कि उन्हें मौत का सौदागर, नीच कहकर अपमानित किया गया।
अब तक दो बार ऐसा हुआ है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके लिए कही गई बातों को मुद्दा बना लिया और दोनों ही बार बीजेपी को चुनाव में जीत मिली। पहली बार 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर कहा था, उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी ने इसे मुद्दा बना लिया था और उन्होंने 2007 के चुनाव में गुजरात में बीजेपी को जीत दिलाई थी। इसके बाद साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी को नीच कहा था, तब भी बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जाति से जोड़ दिया था और कहा गया था कि उनके नेता का अपमान किया गया। साल 2014 के चुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री ने कुरुक्षेत्र की एक चुनावी रैली में कहा था कि कांग्रेस के लोगों की डिक्शनरी में उनके लिए गालियां भरी हुई हैं, उनकी मां को गालियां दी, उन्हें गंदी नाली का कीड़ा कहा, तेली, पागल कुत्ता और भस्मासुर कहा, एक नेता जो पूर्व विदेश मंत्री हैं, ने बंदर कहा तो किसी ने वायरस कहा।
लेकिन यहां सवाल यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और तमाम नेताओं के लिए ऐसी बातें कही हैं जिन्हें लेकर उनकी जमकर आलोचना हुई है।
मोदी अपने भाषणों में बिना नाम लिए सोनिया गांधी को जर्सी गाय, उनके बेटे राहुल गांधी को हाइब्रिड बछड़ा कह चुके हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर के लिए मोदी ने 2013 की एक रैली में उनका नाम लिए बिना 50 करोड़ की गर्ल फ्रेंड कहा था। 2018 में जयपुर की रैली में उन्होंने सोनिया गांधी का नाम नहीं लिया लेकिन कहा था- ये कांग्रेस की कौन सी विधवा थी, जिसके खाते में रुपया जाता था।
फरवरी 2018 में पीएम मोदी ने राज्यसभा में तत्कालीन सांसद रेणुका चौधरी की हंसी का मजाक बनाया था। मोदी ने कहा था - सभापति जी, रेणुका जी को कुछ न कहें, क्योंकि रामायण सीरियल के बाद ऐसी हंसी सुनने का सौभाग्य आज मिला है। बता दें कि इस विवाद ने तूल पकड़ा था। क्योंकि रामायण सीरियल में रावण और शूर्पणखा की हंसी चर्चा में रही थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब उनके खिलाफ कहे गए बयानों को मुद्दा बनाते हैं तो बीजेपी और उसके नेताओं को इसका भी जवाब देना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सियासी विरोधियों के लिए जिस भाषा का इस्तेमाल किया है, लोकतंत्र में उस भाषा को स्वीकृति कैसे दी जा सकती है।
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