कई राज्यों में पार्टी के क्षत्रपों के बीच चल रहे झगड़े को निपटाने में लगा कांग्रेस हाईकमान गुजरात में पार्टी का क्या हाल है, इससे बेख़बर दिखाई देता है। गुजरात कांग्रेस में तीन बड़े पद खाली हैं और राज्य में विधानसभा चुनाव होने में डेढ़ साल का ही वक़्त बचा है।
2017 में किया था बेहतर प्रदर्शन
गुजरात में अब तक दो ध्रुवीय राजनीति ही होती रही है। मतलब बीजेपी और कांग्रेस के बीच। इसमें भी पिछले दो दशक से ज़्यादा वक़्त से बीजेपी सत्ता पर कब्जा जमाए बैठी है। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात में जमकर पसीना बहाया था और पार्टी को इसके बेहतर नतीजे भी मिले थे।
2017 के चुनाव में कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत मिली थी जो उसका अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन था। लेकिन उसके बाद कांग्रेस में विधायकों की ऐसी भगदड़ मची कि आज कांग्रेस के पास राज्य में विधायकों की संख्या 65 रह गई है और इस भगदड़ को रोकने में न तो प्रदेश इकाई कामयाब रही और न ही राष्ट्रीय नेतृत्व।
बहरहाल, जो तीन अहम पद खाली हैं, वे हैं प्रदेश कांग्रेस के अध्यध का पद, विधानसभा में नेता विपक्ष और गुजरात कांग्रेस के प्रभारी का पद। गुजरात में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की परेशानी इस बात को लेकर भी है कि कहीं तेज़ी से उभर रही आम आदमी पार्टी राज्य में उनकी पार्टी को और कमज़ोर न कर दे।
आम आदमी पार्टी ने एलान किया है कि वह 2022, दिसंबर में होने वाले गुजरात के विधानसभा चुनाव को पूरी ताक़त के साथ लड़ेगी और पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पिछले कुछ महीनों में दो बार वहां का दौरा कर चुके हैं। साथ ही हैदराबाद के सांसद असदउद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम भी सक्रियता बढ़ा रही है।
चावड़ा, धनानी का इस्तीफ़ा
गुजरात कांग्रेस के प्रभारी का पद राजीव साटव के इस साल मई में हुए निधन के बाद से खाली है और फरवरी में हुए नगर निकाय के चुनाव में कांग्रेस के ख़राब प्रदर्शन के बाद प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा और नेता विपक्ष परेश धनानी ने इस्तीफ़ा दे दिया था। तब पार्टी हाईकमान ने चावड़ा और धनानी से कहा था कि वे नई नियुक्तियां होने तक अपने पदों पर बने रहें।
मार्च में हुए गुजरात के नगर निकाय चुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा था। जिला पंचायतों से लेकर तालुका पंचायतों, नगर पालिकाओं में भी बीजेपी कांग्रेस से काफी आगे रही थी। तालुका पंचायतों, नगर पालिकाओं में आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम ने भी कुछ सीटें झटकी थीं।
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'वक़्त जाया कर रहे'
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने ‘इकनॉमिक टाइम्स’ के साथ बातचीत में स्वीकार किया कि इन पदों को भरने में जो देरी हो रही है, वह पार्टी को भारी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि जब दूसरे दल विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर चुके हैं, हम अभी भी अपना ही घर व्यवस्थित नहीं कर पाए हैं और वक़्त जाया कर रहे हैं।
इस बीच, गुजरात कांग्रेस के बड़े नेताओं की 24 जून को राहुल गांधी से सूरत में मुलाक़ात हुई थी। तब राहुल मानहानि के एक मामले में पेश होने के लिए सूरत की एक स्थानीय अदालत में पहुंचे थे। पार्टी के एक बड़े नेता ने ‘इकनॉमिक टाइम्स’ को बताया कि इस दौरान राहुल को इस बारे में बताया गया था।
पार्टी आलाकमान को इस बारे में बेहद गंभीरता से सोचना होगा क्योंकि पिछले चार महीनों से प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष का पद खाली है।
प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में शक्ति सिंह गोहिल, अर्जुन मोढ़वाढ़िया और भरत सिंह सोलंकी शामिल हैं। पार्टी के नेताओं का कहना है कि गुजरात में बीजेपी की सरकार के ख़िलाफ़ माहौल है और 2022 में कांग्रेस के लिए अच्छे मौक़े बन सकते हैं।
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