गुजरात के प्रमुख हिंदू संगठन की सनातन टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया। स्वामीनारायण वडताल संप्रदाय के एक सदस्य ने 'सनातन धर्म' पर कटाक्ष करते हुए 'एक नए धर्म की आवश्यकता' बता दी थी। इस पर दूसरे हिंदू संगठन ने आपत्ति जताई। यह टिप्पणी क़रीब एक पखवाड़े पहले की गई थी, लेकिन बीजेपी की ओर से इस पर उस तरह की प्रतिक्रिया नहीं आई है जैसी उसने डीएमके नेता के मामले में दी है। उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी पर प्रधानमंत्री मोदी तक बोल रहे हैं।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार हिंदू संगठन के संत आचार्य दिनेश प्रसाद स्वामी ने कहा था, 'हमें मंदिरों से देवी-देवताओं की मूर्तियों को हटाने की जरूरत है। हमें एक नया धर्म बनाने की जरूरत है।' यह टिप्पणी 28 अगस्त को की गई थी और गुजरात में 'सनातन धर्म' समूहों ने इसकी जबरदस्त आलोचना की थी। हालाँकि, तमिलनाडु में उदयनिधि स्टालिन के बयान के मामले को लपकने वाली बीजेपी गुजरात के मामले में कमोबेश चुप रही है।
रिपोर्ट के अनुसार इस विवाद के बीच ही उन्नीसवीं सदी के संत और स्वामीनाराय सेक्ट के फाउंडर सहजानंद स्वामी के सामने भगवान हनुमान के हाथ जोड़कर खड़ा होने की भित्तिचित्र हटा दी गई। 'सनातन धर्म' का पालन करने वाले संगठन, हिंदू धर्म आचार्य सभा के सदस्य भगवान हनुमान को भगवान राम के अलावा किसी और के सामने घुटने टेकते देखकर परेशान थे।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार स्वामीनारायण संप्रदाय और सनातन धर्म समूहों के बीच तनाव हमेशा बना रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल को पिछले सप्ताह स्वामीनारायण वडताल संप्रदाय के नेताओं और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेताओं के साथ बैठक करनी पड़ी थी।
इधर, एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म पर बयान को बीजेपी ने करीने से भुनाना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी तक ने अब उस बयान के हवाले से विपक्षी गठबंधन इंडिया पर सनातन धर्म को ख़त्म करने का आरोप लगा दिया है। ऐसी ही स्थिति को भाँपते हुए अब डीएमके ने इस पर सावधानी बरतनी शुरू कर दी है और इसने अपने कार्यकर्ताओं को इसको लेकर निर्देश दिए हैं।
डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बुधवार को अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को सलाह दी कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर निशाना बनाया जाना चाहिए और सनातन धर्म पर बहस से बचना चाहिए। स्टालिन ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और कांग्रेस व वामपंथी दलों सहित गठबंधन दलों के नेताओं से भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित रखने का आग्रह किया।
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