गुजरात के 57 ब्यूरोक्रेट्स ने चुनाव आयोग से आम आदमी पार्टी (आप) की मान्यता खत्म करने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में आयोग को पत्र लिखा है। राज्य के पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने यह पत्र ऐसे समय लिखा है जब आप प्रमुख केजरीवाल वहां अपना चुनाव अभियान चला रहे हैं। हालांकि इस पत्र के लिखे जाने के बारे में मीडिया को जानकारी कर्नाटक के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव एम. मदन गोपाल ने दी है।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग को भेजे गए पत्र में आरोप लगाया गया है कि अपनी चुनावी संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए राज्य के अधिकारियों के इस्तेमाल की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कुछ अधिकारियों से संपर्क कर अपनी पार्टी के लिए मदद का आग्रह किया है। हम चुनाव आयोग से अनुरोध करते हैं कि चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के आदेश 16 ए के तहत एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के रूप में आप की मान्यता वापस ले लें क्योंकि आप प्रमुख का आचरण सही नहीं है। उन्होंने आदर्श आचार संहिता और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों का गंभीर उल्लंघन किया है।
इंडिया टुडे के मुताबिक पत्र में आरोप लगाया है कि केजरीवाल ने आगामी राज्य चुनावों में अपनी पार्टी की मदद के लिए पुलिसकर्मियों, होमगार्डों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, राज्य परिवहन के ड्राइवरों, कंडक्टरों और मतदान केंद्र अधिकारियों सहित लोक सेवकों से संपर्क किया। हम सिविल सेवकों का राजनीतिकरण करने के आप के ज़बरदस्त प्रयासों को पूरी तरह से नामंजूर करते हैं। हम दोहराते हैं कि सिविल सेवकों को गैर-पक्षपाती होना चाहिए और सरकार और लोगों की सेवा करनी चाहिए और संसद और कार्यपालिका द्वारा अपनाई गई नीतियों पर अमल करना चाहिए।
इंडिया टुडे के मुताबिक 57 पूर्व ब्यूरोक्रेटस ने केजरीवाल की गुजरात के सरकारी ड्राइवरों से आप को वोट देने के लिए लोगों से अपील करने की बात पर भी आपत्ति जताई है। केजरीवाल फ्रीबीज के जरिए लोक सेवकों को ललचा रहे हैं जो आपत्तिजनक है। बता दें कि करीब बीस दिनों पहले केजरीवाल ने राजकोट की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो घोषणाएं की थीं, उनको निशाना बनाया गया है।
इंडिया टुडे के मुताबिक पत्र में कहा गया है कि केजरीवाल ने जनता को गुमराह करने के लिए मुफ्त बिजली, मुफ्त शिक्षा, नए स्कूल, उनके घर की महिलाओं के बैंक खातों में "हजारों रुपये" ट्रांसफर करने और राज्य में आप के सत्ता में आने के एक महीने के भीतर उनकी अतिरिक्त मांगों को पूरा करने जैसे वादे किए गए हैं। केजरीवाल ने लोक सेवकों को उन सिद्धांतों और नैतिकता का उल्लंघन करने के लिए उकसाने की कोशिश की है। वे लोकसेवकों को आगामी चुनाव में आप के एजेंट के रूप में काम करने के लिए लालच दे रहे हैं। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 6 ए और धारा 123 के तहत आम आदमी पार्टी को प्रतिबंधित किया जाए।
पत्र में कहा गया है कि चुनाव प्रक्रिया को बेदाग और पूर्वाग्रह से मुक्त होना चाहिए। लेकिन केजरीवाल की अपील चुनावी लोकतंत्र को नष्ट करती है और सार्वजनिक सेवा को कमजोर करती है, जो भारत के प्रशासन और विविधता में एकता की रीढ़ है। हम आशा करते हैं कि सिविल सेवक केजरीवाल की बातों को नजरअंदाज करेंगे। पत्र में किसी अधिकारी या कर्मचारी संगठन का नाम नहीं दिया गया है।
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