प्रवासी मजदूरों के रेल भाड़े के मुद्दे पर क्या गुजरात की बीजेपी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार का स्टैंड अलग-अलग है। केंद्र सरकार का दावा है कि प्रवासी मजदूरों को स्पेशल श्रमिक ट्रेनों में जाने के लिए कोई भाड़ा नहीं देना होगा लेकिन गुजरात के मुख्यमंत्री के सचिव का कहना है कि प्रवासियों से ट्रेन टिकट का भाड़ा लिया जा रहा है।
‘अहमदाबाद मिरर’ के मुताबिक़, मुख्यमंत्री के सचिव और वरिष्ठ आईएएस अफ़सर अश्विनी कुमार ने 2 मई को प्रेस ब्रीफ़िंग में साफ-साफ कहा, ‘मजदूरों को टिकट का किराया देना होगा।’ इस बात को उन्होंने 4 मई को भी दोहराया। इस बात को राज्य सरकार की ओर से पत्रकारों को दी गई प्रेस रिलीज में भी स्पष्ट रूप से लिखा गया है।
जब ‘अहमदाबाद मिरर’ ने अश्विनी कुमार से इस बारे में संपर्क किया तो उन्होंने कहा, ‘मैं इस बारे में कुछ और नहीं कहना चाहता। मैं प्रेस रिलीज में सारी सूचना दे चुका हूं।’
प्रवासी मजदूरों के रेल भाड़े को लेकर बीजेपी और कांग्रेस तब आमने-सामने आ गए थे, जब कुछ दिन पहले कांग्रेस ने यह घोषणा की कि मजदूरों के रेल भाड़े का ख़र्च वह उठाएगी। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि रेल भाड़े का 85 फ़ीसदी केंद्र व 15 फ़ीसदी राज्य सरकार वहन करेंगी।
‘अहमदाबाद मिरर’ के मुताबिक़, इस बारे में राज्य सरकार के अधिकारियों से सवाल करने पर उन्होंने कहा कि ऊपर से ऐसा कोई संदेश नहीं आया है।
‘अहमदाबाद मिरर’ ने इससे पहले ख़बर की थी कि अहमदाबाद से उत्तर प्रदेश जाने वाले मजदूरों ने कहा था कि उन्हें अपने टिकट के पैसे देने पड़े। ‘इंडिया टुडे’ के मुताबिक़, अहमदाबाद से उत्तर प्रदेश लौटने वाले मजदूरों ने दावा किया है कि उन्हें श्रमिक एक्सप्रेस में चढ़ने के लिए 600 से ज़्यादा रुपये देने पड़े।
‘अहमदाबाद मिरर’ की ख़बर से साफ है कि राज्य सरकार प्रवासी मजदूरों से टिकट का किराया ले रही है, जबकि केंद्र का कहना है कि यह फ़्री है। लेकिन बड़ी संख्या में जब मजदूर दावा कर रहे हैं कि उनसे टिकट के पैसे लिए जा रहे हैं तो केंद्र के फ़्री यात्रा के दावे पर सवाल खड़े होते हैं।
अपनी राय बतायें