बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर विपक्षी एकता की जोरदार पैरवी की है। रविवार को जनता दल यूनाइटेड के कार्यक्रम में नीतीश ने कहा कि अगर अधिकतर पार्टियां एकजुट हो जाएंगी तो 2024 में भारी बहुमत से हमें जीत मिलेगी।
नीतीश ने यह भी कहा कि उन्होंने लगभग सभी पार्टियों से बात कर ली है अगर कुछ समय के बाद अधिक से अधिक पार्टियां एकजुट हो जाएंगी तो थर्ड फ्रंट नहीं मेन फ्रंट बनेगा और वह इस बात की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर उनकी बात मानी गई तो बीजेपी अगले आम चुनाव में हार जाएगी।
बताना होगा कि इस साल अगस्त में एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ आने वाले नीतीश कुमार 2024 के चुनाव से पहले विपक्षी दलों का एक मजबूत फ्रंट बनाना चाहते हैं। महागठबंधन के साथ आने के बाद उन्होंने दिल्ली आकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। इससे पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव पटना आकर नीतीश कुमार से मिले थे।
2024 की तैयारी
2024 के लोकसभा चुनाव में सवा साल का ही वक्त बचा है क्योंकि फरवरी 2024 में अगले आम चुनाव का ऐलान हो जाएगा। इसलिए आम चुनाव में वक्त ज्यादा नहीं है और उससे पहले साल 2023 का बेहद अहम चुनावी साल है जिसमें 10 राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। इन 10 राज्यों के चुनाव नतीजे 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर गहरा असर डालेंगे।
नीतीश कुमार के पाला बदलने के साथ ही जेडीयू के तमाम नेताओं ने उन्हें 2024 के चुनाव में प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताया था। हालांकि नीतीश कुमार ने कई बार कहा था कि वह किसी पद की दौड़ में नहीं हैं और उनका मकसद सिर्फ विपक्षी दलों को एकजुट करना है।
नीतीश कुमार ने एकजुट होने, 2024 के चुनाव में बहुमत हासिल करने के साथ ही मेन फ्रंट की जो बात कही है, उससे यह पता चलता है कि नीतीश बीजेपी के खिलाफ पूरी ताकत के साथ लड़ना चाहते हैं।
नीतीश कुमार के विपक्षी गठबंधन में आने और हिमाचल प्रदेश के चुनाव नतीजों ने विपक्ष को नई ऊर्जा दी है। साथ ही राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को जिस तरह का समर्थन मिला है, उससे भी विपक्ष चुस्त-दुरुस्त होता दिख रहा है।
हालांकि नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को इस बात के लिए चेताया जरूर है कि अगर वे उनकी बात को नहीं मानेंगे तो फिर वह इसमें कुछ नहीं कर सकते। नीतीश कुमार ने इस बात पर जोर दिया है कि विपक्षी दलों को एनडीए का मुकाबला करने के लिए एकजुट होना ही होगा।
नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव विपक्षी एकता की कोशिशों के मद्देनजर ही सितंबर में हरियाणा के फतेहाबाद में हुई इंडियन नेशनल लोकदल की रैली में भी आए थे।
एकजुट होंगे विपक्षी दल?
विपक्षी एकता की राह में कुछ बड़ी बाधाएं भी हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विपक्षी एकता की पैरवी कर चुकी हैं लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के साथ आने के लिए तैयार नहीं दिखाई देते। हाल ही में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि वह केसीआर की भारत राष्ट्र समिति के साथ कोई गठबंधन नहीं करेंगे जबकि कांग्रेस के कई नेता आम आदमी पार्टी को बीजेपी की बी टीम बता चुके हैं। क्या ओडिशा में सरकार चला रहा बीजद, आंध्र प्रदेश में सरकार चला रही वाईएसआर कांग्रेस और एआईएमआईएम भी विपक्षी गठबंधन के साथ आएंगे।
गुजरात के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहद खराब प्रदर्शन के लिए आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार माना जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर सभी विपक्षी दल एक मंच पर नहीं आए तो क्या बीजेपी के खिलाफ कोई मजबूत फ्रंट खड़ा हो पाएगा।
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने की तमाम कोशिशें हुई थी लेकिन यह कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकी थीं।
तब तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अलग-अलग कोशिश की थी कि विपक्षी दलों को एकजुट किया जाए लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी ऐसा नहीं हो सका था।
देखना होगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले क्या विपक्षी दल एकजुट होंगे?
अपनी राय बतायें