पाटीदार समाज से आने वाले भूपेंद्र पटेल गुजरात के नये मुख्यमंत्री होंगे। वह सोमवार को पद की शपथ लेंगे। एक दिन पहले पद से इस्तीफ़ा देने वाले विजय रूपाणी ने विधायक दल की बैठक में पटेल के नाम का प्रस्ताव रखा। इसका अनुमोदन नितिन पटेल ने किया। सभी विधायकों ने इस नाम पर सहमति जताई। इसके साथ ही मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पहले से जो कयास लगाए जा रहे थे उनको बीजेपी ने ग़लत साबित कर दिया है। नये मुख्यमंत्री की घोषणा से पहले रविवार सुबह ही बीजेपी के केंद्रीय पर्यवेक्षक गुजरात में पहुँचे थे। बीजेपी विधायक दल की बैठक में नये मुख्यमंत्री का फ़ैसला लिया गया। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा है कि गुजरात के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री सिर्फ़ भूपेंद्र पटेल ही सोमवार को शपथ लेंगे, और कोई नहीं।
भूपेंद्र पटेल का पूरा नाम भूपेन्द्र रजनीकांत पटेल है। वह घाटलोदिया सीट से विधायक हैं। उन्होंने 2017 के चुनाव में 117000 वोटों से जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के शशिकांत पटेल को हराया था। आनंदी बेन पटेल ने उनके लिए यह सीट छोड़ी थी। वह भूपेंद्र पटेल के क़रीबी हैं। वह पूर्व में अहमदाबाद नगर निगम और अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण यानी एयूडीए के चेयरमैन रहे थे।
श्री @Bhupendrapbjp जी को @BJP4Gujarat विधायक दल का नेता चुने जाने पर हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।
— Amit Shah (@AmitShah) September 12, 2021
मुझे विश्वास है कि @narendramodi जी के मार्गदर्शन व आपके नेतृत्व में प्रदेश की अनवरत विकास यात्रा को नई ऊर्जा व गति मिलेगी और गुजरात सुशासन व जनकल्याण में निरंतर अग्रणी बना रहेगा।
बीजेपी के केंद्रीय आलाकमान ने नये मुख्यमंत्री पर फ़ैसले के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी और नरेंद्र सिंह तोमर को गुजरात भेजा था। इससे पहले मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार बताए जा रहे थे। जिन नामों पर विचार किया जा रहा था उनमें गुजरात के दो केंद्रीय मंत्री, दो केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल और राज्य के कृषि मंत्री आरसी फालदू के नाम शामिल था।
दो केंद्रीय मंत्रियों के नाम इसलिए भी चर्चा में थे क्योंकि विजय रूपाणी के इस्तीफ़े की घोषणा बीजेपी के गुजरात राज्य प्रभारी भूपेंद्र यादव के साथ एक बैठक के बाद हुई थी। उस बैठक में दोनों केंद्रीय मंत्रियों- मनसुख मंडाविया और पुरुषोत्तम रूपाला के साथ-साथ बीजेपी महासचिव बीएल संतोष ने भी भाग लिया था। समझा जाता है कि उस बैठक में रूपाणी को पद छोड़ने के केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय के बारे में बताया गया।
जिस समय रूपाणी इस्तीफ़ा सौंपने के लिए राज्यपाल से मिलने गए थे, उनके साथ नितिन पटेल, पुरुषोत्तम रूपाला, भूपेंद्र यादव और मनसुख मंडाविया भी मौजूद थे।
बता दें कि एक बेहद अहम घटनाक्रम में शनिवार को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। उन्होंने आनंदी बेन पटेल के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद पदभार संभाला था।
पिछले चुनाव से कुछ महीने पहले ही आनंदी बेन पटेल को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था। इस बार गुजरात में चुनाव से क़रीब एक साल पहले ही रूपाणी को पद छोड़ना पड़ा है।
गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र यह बदलाव बेहद महत्वपूर्ण है। समझा जाता है कि बीजेपी ने यह बदलाव इसलिए किया है कि उसे चुनाव के समय एंटी इनकम्बेन्सी यानी सरकार विरोधी लहर का सामना नहीं करना पड़े।
कुछ दिन पहले ही बीजेपी ने उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदला है, उसके पीछे भी यही तर्क दिया जा रहा है। उत्तराखंड में बीजेपी ने पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन बहुत कम समय में ही उन्हें हटाकर पुष्कर धामी को कमान सौंपी गई। कर्नाटक में भी बीजेपी ने बी. एस.येदियुरप्पा की जगह बोम्मई को कमान सौंपी है।
गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है। यह बीजेपी के लिए बेहद अहम है। इसलिए पार्टी ने समय रहते वहां एक बदलाव किया है और चुनाव को बहुत ही गंभीरता से लेने का संकेत दे दिया है।
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