गुजरात के नगर निकाय चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत के अलावा अहम ख़बर ये भी है कि हैदराबाद के सांसद असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने कुछ जगहों पर अच्छा प्रदर्शन किया है। कुछ दिन पहले गुजरात के अहमदाबाद नगर निगम के चुनाव में भी एआईएमआईएम ने कुछ सीटें झटकी थीं।
एआईएमआईएम ने इस बार गोधरा की नगर पालिका में 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और उसे 7 सीटों पर जीत मिली है। गोधरा की नगर पालिका में कुल 44 सीटें हैं। गोधरा में 2002 में हुए ट्रेन हादसे के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इसके अलावा मोडासा नगर पालिका में एआईएमआईएम ने कांग्रेस को भी पीछे छोड़ दिया है।
एआईएमआईएम ने मोडासा में 12 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से उसे 9 सीटों पर जीत मिली है। एआईएमआईएम मोडासा में मुख्य विपक्षी दल बन गया है। इसके अलावा भरूच में भी एआईएमआईएम को 1 सीट पर जीत मिली है। मोडासा और गोधरा में ओवैसी ने चुनाव के दौरान रैलियां की थीं। इन नतीजों से ख़ुश असदउद्दीन ओवैसी ने राज्य के लोगों का आभार जताया है। उन्होंने एआईएमआईएम की गुजरात टीम और जीते हुए नेताओं को बधाई दी है।
एआईएमआईएम ने निकाय चुनाव में भारतीय ट्राइबल्स पार्टी (बीटीपी) के साथ गठबंधन किया था। बीटीपी के पास दलित और आदिवासी समुदाय का समर्थन है। ऐसे में एआईएमआईएम और बीटीपी 2022 के विधानसभा चुनाव में असर दिखा सकते हैं।
हैदराबाद से बाहर निकल रहे ओवैसी
बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम को 5 सीटें मिलने के बाद ओवैसी तेज़ी से हैदराबाद से बाहर निकल रहे हैं। ओवैसी इन दिनों बंगाल और उत्तर प्रदेश के दौरे कर रहे हैं और इन दोनों ही राज्यों में पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।
बीते साल दिसंबर में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव के नतीजों ने दिखाया था कि हैदराबाद के मुसलिम मतदाता ओवैसी के साथ खड़े हैं। तब चुनाव प्रचार के दौरान ओवैसी पर लगातार हमले करने से बीजेपी का प्रदर्शन तो सुधरा था लेकिन इससे एआईएमआईएम की सियासी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा था और वह पिछली बार के ही बराबर 44 सीटें लाई थी।
कांग्रेस के लिए मुसीबत
दूसरी ओर जिला पंचायतों, तालुका पंचायतों और नगर पालिकाओं में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा है। एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी कांग्रेस को नुक़सान पहुंचाती दिख रही हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव और स्थानीय निकाय के चुनाव पूरी तरह अलग होते हैं लेकिन फिर भी ये दोनों दल कांग्रेस के लिए मुश्किल बन सकते हैं। कांग्रेस के ख़राब प्रदर्शन के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष परेश धनानी ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दोनों नेताओं ने कांग्रेस की हार के लिए ईवीएम को जिम्मेदार बताया है।
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