loader

युद्ध न हो, अयोध्या में बने सभी धर्मों का तीर्थस्थल

कुंभ के अवसर पर आयोजित धर्म-संसद में विश्व हिंदू परिषद ने जो घोषणा की है, उसके कारण देश के रामभक्त बेहद परेशान दिख रहे हैं। उन्हें आशा थी कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विहिप के दबाव के चलते मोदी सरकार अयोध्या में तुरंत राम मंदिर का निर्माण शुरू कर देगी। 
संघ और विहिप, दोनों ने अदालत के फ़ैसले का इंतजार करने का इरादा छोड़ दिया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया था कि वह अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश जारी करें।
अब इन संगठनों ने अगले 4-5 माह के लिए चुप्पी साध ली है। वे न तो कोई माँग करेंगे और न ही कोई आंदोलन करेंगे, क्योंकि इसे वे एक घटिया चुनावी मुद्दा नहीं बनाना चाहते। इसमें कोई शक नहीं कि इस मुद्दे को लेकर सारे दल जूतों में दाल बाँटते और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे खूंटी पर टंग जाते। इससे सबसे ज़्यादा नुक़सान बीजेपी का होता, उसकी दशा कांग्रेस जैसी हो जाती। 
चुनाव बाद जो नई सरकार बनती, उसका क्या पता, वह कैसी होती? शायद वह राम मंदिर के मुद्दे को मोदी सरकार की ही तरह दरी के नीचे सरका देती। या ख़ुद राम मंदिर खड़ा करके वह बीजेपी, संघ और विहिप की जड़ों को मट्ठा पिला देती। कांग्रेस ने तो ऐसा संकेत भी दे दिया है।

अयोध्या मामले में मेरी स्पष्ट राय है कि यह मामला न अदालत सुलझा सकती है और न ही कोई आंदोलन! ये दोनों रास्ते ऐसे हैं, जिनसे राम मंदिर का मामला आगे जाकर भारत के गले का पत्थर बन जाएगा। इस मामले का स्थायी और सर्वमान्य हल यह है कि अयोध्या की इस कुल 70 एकड़ जमीन में एक सर्वधर्म तीर्थ खड़ा किया जाए, जहाँ राम का अपूर्व विश्व-स्तरीय सुंदर मंदिर बने और शेष स्थानों पर भारत के ही नहीं, विश्व के सभी प्रमुख धर्मों के पूजास्थल बन जाएँ। उनका एक संग्रहालय और पुस्तकालय भी बने।

याचिका वापस ले केंद्र सरकार 

केंद्र सरकार ने अधिग्रहीत ज़मीन उसके मालिकों को वापस लौटाने की जो याचिका अदालत को दी है, ऐसा करके उसने उचित नहीं किया है। उसे वह तुरंत वापस ले। स्वामी स्वरुपानंदजी भी तीनों याचिकाकर्ताओं से बात करें। उन्हें सहमत करवाएँ। 21 फ़रवरी से आंदोलन न छेड़ें। सांसारिक नौकरशाहों के नौकरों यानी हमारे नेताओं पर आध्यात्मिक कृपा करें। उनकी बुद्धि और विवेक को जागृत करें। अयोध्या को 21 वीं सदी की नई युद्ध-भूमि न बनने दें।

(डा. वेदप्रताप वैदिक के कॉलम से साभार)
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

ब्लॉग से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें