कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय
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बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषण के दौरान अति उत्साह में कुछ ज़्यादा दावे कर देते हैं, अनजाने में कुछ ग़लत बोल जाते हैं या सोची समझी रणनीति के तहत जान बूझ कर झूठ बोलते हैं? यह सवाल एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है। मोदी ने हाल ही में जो कुछ कहा, उस पर कुछ लोगों का कहना है कि पीएम का एक और झूठ पकड़ा गया।पिछले दिनों यूपी के गाज़ीपुर में एक रैली में भाषण के दौरान मोदी ने कर्नाटक के किसानों की कर्ज़माफ़ी को लेकर ग़लत बयान दे दिया। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस ने चुनाव के दौरान लाखों किसानों की कर्ज़माफ़ी का वादा किया था। लेकिन बाद में सिर्फ 800 किसानों को ही इसका फ़ायदा पहुँचाया गया। इतना ही नहीं, यही बात बीजेपी के आधिकारिक ट्विवटर हैंडल से भी ट्वीट की गई।
कर्नाटक में लाखों किसानों को कर्ज माफी का वादा किया था लेकिन सिर्फ 800 किसानों का ही कर्ज माफ हुआ। ये कैसा खेल, कैसा धोखा: पीएम नरेन्द्र मोदी #PMInGhazipur https://t.co/i7LtsMt7tO pic.twitter.com/8AECV2K2NH
— BJP (@BJP4India) December 29, 2018
चलिए अब हम आपको बताते हैं कि असल में कर्नाटक में किसानों की कर्ज़माफी का क्या मामला है और कितने किसानों की कर्ज़माफ़ी की गई? जुलाई महीने में कर्नाटक सरकार की ओर से पेश किए गए पहले बजट में अलग से 34,000 करोड़ रुपये की फ़सल ऋण माफ़ी का एलान किया गया। लेकिन बाद में यह आंकड़ा बढ़कर 44,000 करोड़ रुपये पहुँच गया।
'एनडीटीवी' ने 19 दिसंबर 2018 को कर्नाटक में एक रियलिटी-चेक किया था। इस रियलिटी चेक में साबित हुआ था कि कर्नाटक के 27,000 किसानों को उनके सहकारी बैंकों से ऋण माफ़ी के प्रमाणपत्र प्राप्त हुए हैं। यह रकम तक़रीबन 150 करोड़ रुपये की थी। ग़ौरतलब है कि प्रत्येक परिवार की ऋण सीमा 2 लाख रुपये तय की गई थी, जबकि अभी 50,000 रुपये तक का ही ऋण माफ किया जा रहा है।
इसके अलावा 'द हिंदू' में 28 दिसंबर को एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। जिसमें कहा गया है कि अब तक, विशेष रूप से सहकारी क्षेत्र में लगभग 70,000 किसानों ने योजना का लाभ उठाया है और कुल छूट लगभग 348 करोड़ रुपये है। बहरहाल, लगता है कि पीएम को आंकड़े मुहैया कराने वाली टीम सही ढंग से रिसर्च नहीं करती है या फिर जानबूझ कर राजनैतिक फ़्यदे के लिए यह तरीका अपनाती है।
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