क्या दिल्ली पुलिस योगेंद्र यादव को फँसाना चाहती है? दिल्ली दंगों की चार्ज शीट में स्वराज इंडिया के इस नेता का नाम क्यों है? योगेंद्र यादव ने हिंसा में किसी तरह की भूमिका से साफ़ इनकार किया है। उस समय किए उनके ट्वीट देखने लगता है कि वह हिंसा भड़काने में शामिल नहीं ही थे, बल्कि वह लोगों को शांत करने की कोशिश ही कर रहे थे। लेकिन दिल्ली पुलिस का रवैया इसके ठीक उलट जान पड़ता है।
अभियुक्त नहीं हैं योगेंद्र
उत्तर पूर्वी दिल्ली में हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या के मामले में दाखिल चार्जशीट में छात्र नेता कंवलप्रीत कौर और एडवोकेट डी. एस. बिंद्रा के साथ योगेन्द्र यादव के नाम का भी ज़िक्र है। इनके नाम 17 अभियुक्तों की सूची में शामिल नहीं हैं। अभियुक्त के बयानों में इनके नाम दिखाए गए हैं। चार्ज शीट में अभियुक्त नज़म उल हसन के बयान में दूसरे लोगों के साथ यादव का नाम लिया गया है। उसमें हसन ने कहा, 'प्रदर्शन शुरू हो गया। वहाँ बाहर से लोगों को बुलाते थे, जिनमें एडवोकेट भानु प्रताप, एडवोकेट डी. एच. बिंद्रा, योगेंद्र यादव तथा जेएनयू, जामिया और डीयू के बहुत से छात्र आते थे।'
अभियुक्त नज़म- उल- हसन के बयान में योगेंद्र यादव का नाम
क्या है चार्जशीट में?
चार्जशीट में शादाब अहमद को मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। इस चार्ज में कहा गया है कि मुताबिक़, शादाब कंवलप्रीत कौर (एआईएसए), देवांगना कलिता (पिंजड़ा तोड़), सफ़ूरा, योगेंद्र यादव को जानता था, जो विरोध प्रदर्शन की जगह पर जाते थे और नफ़रत फैलाने व लोगों को हिंसा के उकसाने वाले भाषण दिया करते थे। अभियुक्त शादाब अहमद के बयान में योगेंद्र यादव का नाम
दिल्ली पुलिस ने दंगों की चार्ज शीट में साफ़ तौर पर योगेंद्र यादव पर नफ़रत फैलाने और हिंसा के लिए उकसाने के आरोप लगाए हैं।
चार्ज शीट में एक जगह यह भी कहा गया है कि चाँद बाग में विरोध प्रदर्शन की जगह पर 24 फरवरी को हिंसा फैलाने और लोगों को उकसाने की योजना थी, जिसका मक़सद लोगों की जान और संपत्ति का नुक़सान था। आयोजकों के तार डी. एस. बिंद्रा, कंवलप्रीत कौर, देवांगना कलिता, सफ़ूरा और योगेंद्र यादव जैसे लोगों से जुड़ने से विरोध के पीछे किसी गुप्त अजेंडा का संकेत मिलता है।
गवाह के बयान
चार्जशीट में यादव का नाम चाँद बाग़ विरोध स्थल से एक गवाह के बयान में भी आता है: 'यहाँ विरोध शुरू हुआ। बाहर से लोगों को बुलाया जाता था और भानु प्रताप, बिंद्रा, यादव और जेएनयू, जामिया व डीयू के कई छात्र आते थे, जो सरकार और एनआरसी के ख़िलाफ़ बोलते थे और कहते थे कि मुसलमानों को चिंतित होना चाहिए। यह 50 दिनों के लिए जनवरी से 24 फ़रवरी तक जारी रहा।'एक गवाह के बयान में योगेंद्र यादव का नाम
इन तीन बातों से यह साफ़ है कि दिल्ली पुलिस यह कहना चाहती है कि योगेंद्र यादव अपरोक्ष रूप से हिंसा के लिए ज़िम्मेदार हैं।
क्या कहना है योगेंद्र यादव का?
लेकिन यादव इससे इनकार करते हैं। उन्होंने 'द इंडियन एक्सप्रेस' से कहा,
“
'मैंने जो कुछ भी कहा है वह सब पब्लिक डोमेन में है। कृपया एक उदाहरण बताएँ जहाँ मैंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी भी तरह की हिंसा को उकसाया है।'
योगेंद्र यादव, प्रमुख, स्वराज इंडिया
योगेंद्र यादव के ट्वीट
स्वराज इंडिया के इस नेता ने 24 फरवरी को ट्वीट कर कहा कि 'मोदी के बारे में जो भी राय हों, ट्रंप भारत के राजकीय अतिथि के रूप में राष्ट्रीय राजधानी में मौजूद होंगे।' उन्होंने कहा, 'मैं सीएए-विरोधी आन्दोलनकारियों से अपील करता हूँ कि जब तक अमेरिकी राष्ट्रपति मौजूद हैं, वे तब तक कोई विरोध प्रदर्शन न करें।'
योगेंद्र यादव ने 24 फरवरी को एक और ट्वीट कर दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल रतन लाल की मृत्यु पर दुख जताते हुए कहा कि 'वह न तो सीएए के समर्थक थे न ही विरोधी, वह तो बस अपनी ड्यूटी कर रहे थे।' उन्होंने यह भी कहा कि 'रतन लाल की मौत न केवल दुखद और निंदनीय है, बल्कि सभी पक्षों से सार्वजनिक जीवन से जुड़े हर आदमी के लिए शर्मनाक है।'
'हाथ हमारा नहीं उठेगा'
योगेंद्र यादव ने 24 फरवरी को ही एक और ट्वीट किया। उसमें वह कहते हैं कि 'गोडसे के अनुयायी इस स्तर तक नीचे उतर सकते है, गाँधी के अनुयायियों को उनके स्तर तक ऊपर उठना होगा।' वे अपील करते हैं, 'गुंडे आपको भड़काएंगे, पुलिस भेदभावपूर्ण रवैया अपनाएगी, पर हमें किसी सूरत में बदला नहीं लेना है।' वह कहते हैं, 'हमला चाहे जैसा हो, हाथ हमारा नहीं उठेगा।'पुलिस कार्रवाई का समर्थन
योगेंद्र यादव दिल्ली दंगों के दौरान पुलिस कार्रवाई का समर्थन ही नहीं करते, बल्कि कहते हैं कि उसे यह काम पहले ही करना चाहिए था। उन्होंने 26 फरवरी को ट्वीट कर कहा, 'कल रात से , शायद हाई कोर्ट के आदेश के बाद से, दिल्ली पुलिस स्थिति पर प्रतिक्रिया देती दिख रही है। देखते ही गोली मारने का आदेश दे दिया गया है, यह काम उन्हें कल ही करना चाहिए था।'योगेंद्र यादव के ट्वीट से यही पता चलता है कि वह हिंसा के ख़िलाफ़ थे। वह रतन लाल की हत्या को शर्मनाक बताते हैं, अमेरिकी राष्ट्रपति की मौजूदगी में प्रदर्शन नहीं करने की सलाह देते हैं, वह हमला होने पर भी हाथ नहीं उठाने की अपील करते हैं और दंगों के दौरान देखते ही गोली मारने के आदेश को सही ठहराते हैं।
दिल्ली पुलिस ने अब तक योगेंद्र यादव को अभियुक्त नहीं बनाया है। पर वह इस चार्जशीट में नाम आने के कारण किसी न किसी बहाने पूछताछ कर सकती है। उस दौरान पुलिस का क्या रवैया होगा और उसका क्या नतीता होगा, यह अधिक महत्वपूर्ण होगा।
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