नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ दिल्ली के जाफ़राबाद इलाक़े में चल रहे प्रदर्शन में रविवार शाम को पत्थरबाज़ी हुई है। जाफ़राबाद में चल रहे प्रदर्शन के विरोध में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा की अगुवाई में सैकड़ों लोग मौजपुर इलाक़े में जमा हो गये और तभी दो गुटों के बीच पत्थरबाज़ी की घटना हुई। कपिल मिश्रा की अगुवाई में जमा हुए लोग नागरिकता क़ानून के समर्थन में नारेबाज़ी कर रहे थे। पत्थरबाज़ी की घटना मौजपुर इलाक़े में हुई है। पुलिस ने उपद्रवियों को तितर-बितर करने के लिये आंसू गैस के गोले छोड़े। डीएमआरसी ने एहतियात बरतते हुए जाफ़राबाद और मौजपुर-बाबरपुर मेट्रो स्टेशनों को बंद कर दिया है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, संयुक्त पुलिस आयुक्त (पूर्वी रेंज) आलोक कुमार ने कहा कि पुलिस पर भी पत्थर फेंके गये हैं लेकिन अब स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने बताया कि इलाक़े में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है और फ़्लैग मार्च निकाला जा रहा है।
शनिवार रात को 500 से ज़्यादा महिलाएं नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करते हुए जाफ़राबाद इलाक़े में सड़क पर बैठ गयीं और उनका धरना जारी है।
प्रदर्शन कर रही महिलाएं लगातार इस बात की मांग कर रही हैं कि केंद्र सरकार नागरिकता क़ानून को वापस ले। इस दौरान वह आज़ादी के नारे भी लगा रही हैं। एनडीटीवी के मुताबिक़, वरिष्ठ पुलिस अफ़सर वेद प्रकाश सूर्य ने कहा कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत की और उनसे कहा कि वे इतने प्रमुख रास्ते को बंद नहीं कर सकतीं।
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ दिसंबर में जाफ़राबाद और सीलमपुर इलाक़े में जोरदार विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसके अलावा जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भी हिंसक प्रदर्शन हुए थे और पुलिस ने कैंपस में घुसकर लाठीचार्ज किया था। शाहीन बाग़ में बैठे प्रदर्शनकारियों के कारण लोगों को हो रही परेशानियों के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से वार्ता के लिये मध्यस्थों को नियुक्त किया है। लेकिन कई दौर की बातचीत के बाद भी अब तक सड़क को पूरी तरह खोले जाने को लेकर कोई बात नहीं बन सकी है। शाहीन बाग़ में 70 दिन से प्रदर्शन कर रही महिलाओं की मांग है कि केंद्र सरकार नागरिकता क़ानून को वापस ले तभी वे धरना ख़त्म करेंगी।
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ देश के कई इलाक़ों में जोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं। पूर्वोत्तर से लेकर उत्तर प्रदेश और मुंबई से लेकर तमिलनाडु में लोग इस क़ानून के ख़िलाफ़ सड़कों पर हैं। लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि वह इस क़ानून को वापस नहीं लेगी। विपक्षी दलों ने इस क़ानून को संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ बताया है और केंद्र से इसे वापस लेने के लिये कहा है। विपक्षी दलों की सरकारों वाले राज्यों में इस क़ानून के विरोध में प्रस्ताव पास हो चुका है और कुछ राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है।
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