केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आर्टिकल 371 के प्रावधानों को लागू करने की संभावना है। खबरें आ रही हैं कि केंद्र सरकार लद्दाख को अनुच्छेद 371 जैसी सुरक्षा देने पर विचार कर रही है।
हालांकि इसको लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट इस ओर इशारा कर रही है।
लद्दाख के लोग राज्य का दर्जा, विधायिका और 6वीं अनुसूची में इसे शामिल करने की मांग पिछले कुछ समय से कर रहे हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि गृहमंत्री अमित शाह ने यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार के लिए इस क्षेत्र को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को समायोजित करना संभव नहीं होगा।
माना जा रहा है कि केंद्र ने विधायिका के अनुरोध को भी ठुकरा दिया है। जम्मू-कश्मीर के विपरीत, लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश है।
सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रतिनिधियों के संगठन लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस की एक बैठक हुई। इस दौरान गृह मंत्री ने उन्हें कहा कि भूमि, नौकरियों और संस्कृति के बारे में उनकी सभी चिंताओं को संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत विशेष प्रावधानों के माध्यम से संरक्षित किया जाएगा।
यह रिपोर्ट कहती है कि इस बैठक में हिस्सा लेने वाले लद्दाख के एक नेता ने कहा कि गृह मंत्री भूमि, नौकरियों और संस्कृति पर हम लोगों की चिंताओं के प्रति सहानुभूति रखते हैं।
उन्होंने हमारी इन चिंताओं को लेकर हमें कहा कि इनका समाधान अनुच्छेद 371 के तहत विशेष प्रावधानों के माध्यम से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार स्थानीय लोगों के लिए क्षेत्र में 80 प्रतिशत तक नौकरियां आरक्षित करने को तैयार है।
संविधान के अनुच्छेद 371 में पूर्वोत्तर के छह राज्यों सहित 11 राज्यों के लिए विशेष प्रावधान शामिल हैं। अनुच्छेद 244 के तहत संविधान की छठी अनुसूची में कुछ विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वायत्तता के साथ एक राज्य के भीतर स्वायत्त प्रशासनिक प्रभागों के गठन का प्रावधान है।
लद्दाख क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने गृह सचिव अजय भल्ला सहित गृह मंत्रालय (एमएचए) के शीर्ष अधिकारियों से भी मुलाकात की है।
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