कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय
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कल्पना सोरेन
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चंपाई सोरेन
बीजेपी - सरायकेला
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आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच गठबंधन होगा या नहीं, यह बात किसी अतंहीन कहानी जैसी हो गई है। हर दिन इसमें नए बयान आते हैं और यह मुद्दा सुलझने के बजाए उलझता चला जाता है। अब ताज़ा बयान आया है दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन का। माकन ने कहा है कि दिल्ली में अगर कांग्रेस और 'आप' में गठबंधन नहीं हुआ तो बीजेपी सातों सीटें जीत जाएगी, उसके बाद यह चर्चा एक बार फिर जोर-शोर से सुनाई दे रही है कि क्या अब दोनों दलों में गठबंधन होने जा रहा है।
लोकसभा चुनाव सामने हैं और दिल्ली में छठे चरण में यानी 12 मई को वोट डाले जाने हैं। कुल मिलाकर दो महीने से कम का समय बचा है और गठबंधन करें या नहीं, कांग्रेस इसे लेकर बुरी तरह कंफ़्यूज्ड है। आइए, 'आप' से गठबंधन को लेकर कांग्रेस के कंफ़्यूज़न को समझते हैं।
अजय माकन के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस ने केजरीवाल सरकार के ख़िलाफ़ ख़ूब प्रदर्शन किए। अजय माकन ने कोई मौक़ा नहीं छोड़ा कि वह केजरीवाल सरकार को कठघरे में खड़ा करें। लेकिन अब माकन के सुर पूरी तरह बदल चुके हैं।
‘जनसत्ता बारादरी’ में शिरकत करने पहुँचे माकन ने शुक्रवार को इन आशंकाओं को खारिज किया कि दिल्ली में कांग्रेस-‘आप’ के गठबंधन से कांग्रेस को भविष्य में नुक़सान होगा और उसकी हालत यूपी और बिहार जैसी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि जब आप बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ते हैं तो ऐसी सूरत में आपको कोई नुकसान नहीं होता।
जो माकन कुछ महीने पहले तक 'आप' के साथ गठबंधन के घनघोर विरोधी थे वह भी अब गठबंधन के समर्थन में आ गए। माकन या कांग्रेस के स्टैंड को देखकर यही कहा जा सकता है कि आख़िर इतना कंफ़्यूजन क्यों है भाई?
आँकड़ों को देखें तो पिछले लोकसभा चुनावों में दिल्ली में बीजेपी को 46 फ़ीसदी, 'आप' को 33 फ़ीसदी और कांग्रेस को 15 फ़ीसदी वोट मिले थे। अगर 'आप' और कांग्रेस के वोट मिला लिए जाएँ तो मोदी लहर में भी बीजेपी को दिल्ली में हराया जा सकता था। लेकिन दोनों दलों के अलग-अलग लड़ने के कारण बीजेपी सातों सीटों पर जीत गई थी। यही आँकड़ा देकर केजरीवाल कांग्रेस को गठबंधन करने के लिए मनाने की कोशिश करते रहे हैं लेकिन कांग्रेस स्टैंड नहीं ले पाई।
गठबंधन की संभावनाओं पर बातचीत के दौरान यह ख़बर भी आई थी कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के घर पर केजरीवाल और राहुल गाँधी की बातचीत हुई थी। लेकिन तब भी इसे लेकर कोई फ़ैसला राहुल गाँधी नहीं कर पाए थे। ख़बरें यह भी आई थीं कि राहुल गाँधी तो गठबंधन के पक्ष में हैं लेकिन दिल्ली के कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता इसके लिए क़तई तैयार नहीं हैं।
बुधवार शाम से गुरुवार शाम तक कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भेजे गए इन मैसेज सर्वे की रिपोर्ट आ गई है और इसे राहुल गाँधी को भेज दिया गया है। बताया जाता है कि राहुल दो से तीन दिन में इस पर फ़ैसला ले सकते हैं।
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