पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों से जुड़े एक ग़ैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम यानी यूएपीए मामले में गिरफ्तारी के दो साल बाद उमर खालिद पहली बार तिहाड़ जेल से बाहर आएंगे। दिल्ली की अदालत ने यह आदेश दिया है। दरअसल अदालत ने उमर को उनकी बहन की शादी में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत दी है। इससे पहले दो साल से जमानत की उनकी याचिकाएँ लगातार खारिज होती रही हैं।
बहरहाल, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने उमर खालिद को 23 दिसंबर से एक सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत दी है। उन्हें 30 दिसंबर को आत्मसमर्पण करना होगा। इस जमानत के दौरान उमर पर कुछ प्रतिबंध भी लगाए गए हैं।
बता दें कि उमर खालिद ने अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए 14 दिन की अंतरिम जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उनके वकीलों ने मौखिक रूप से अदालत से कहा था कि अगर उन्हें शादी में शामिल होने की अनुमति दी गई तो वह मीडिया से बात नहीं करेंगे या जनता से नहीं मिलेंगे।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने अदालत को बताया कि उमर खालिद की 'अंतरिम जमानत अवधि के दौरान सोशल मीडिया के इस्तेमाल से ग़लत सूचना फैलने की बहुत संभावना है, जिसे रोका नहीं जा सकता है, इससे समाज में अशांति पैदा होने की संभावना है और वह गवाहों को भी प्रभावित कर सकते हैं।'
उमर खालिद को इस महीने की शुरुआत में दिल्ली दंगे के एक मामले में बरी कर दिया गया था। तब उमर खालिद के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता खालिद सैफी को भी बरी किया गया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस साल अक्टूबर महीने में भी 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली दंगे मामले में उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
उमर खालिद पर दिल्ली पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) संशोधन अधिनियम यानी यूएपीए का आरोप लगाया है। इसके अलावा उन पर शस्त्र अधिनियम और सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान की रोकथाम अधिनियम के कई प्रावधानों के तहत भी मामला दर्ज किया गया। खालिद के वकील ने एक सुनवाई के दौरान अदालत को बताया था कि मीडिया के द्वारा उनके भाषण का एडिटेड वीडियो चलाया गया, जिसे बीजेपी के एक नेता ने ट्वीट किया था और इस आधार पर ही यूएपीए का मुक़दमा कायम कर दिया गया।
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