महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। उन्होंने स्पीकर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। 10 जनवरी को स्पीकर ने अपने फैसले में शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना था।
सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में उद्धव ठाकरे ने कहा है कि उद्धव गुट ही असली शिवसेना है। उन्होंने पार्टी के अधिकार को लेकर स्पीकर के फैसले को गलत मानते हुए दावा किया है कि शिवसेना पर असल अधिकार उनका ही है।
उद्धव ठाकरे के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के साथ ही यह तय माना जा रहा है कि शिवसेना पर दावे की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। उद्धव इस लड़ाई को अब सुप्रीम कोर्ट में लड़ने का मन बना चुके हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने अपने 10 जनवरी के चर्चित फैसले में कहा था कि 22 जून, 2022 को पार्टी के भीतर प्रतिद्वंद्वी गुट उभरने पर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना है।
स्पीकर ने अपने फैसले में शिंदे और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले दोनों गुटों के किसी भी विधायक को अयोग्य ठहराने से भी इंकार कर दिया था। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गुट ने स्पीकर से शिवसेन में बगावत करने वाले शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी।
उनकी इस मांग को स्पीकर ने खारिज कर दिया था। स्पीकर के इस फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा था कि उनके इस फैसले से सुप्रीम कोर्टे की अवमानना हुई है। उन्होंने इस फैसले के तुरंत बाद ही कहा था कि उनकी लड़ाई जारी रहेगी।
यह मामला पहले भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट के चीफ व्हिप भरत गोगावले की नियुक्ति को अवैध ठहराया था। जबकि स्पीकर राहुल नार्वेकर ने 10 जनवरी 2024 के अपने फैसले में इसे वैध ठहराया है। उद्धव ठाकरे ने स्पीकर के फैसले के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
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इधर शिंदे गुट बांबे हाईकोर्ट पहुंचा
उद्धव ठाकरे जहां महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना भी बांबे हाईकोर्ट पहुंच गई है। बांबे हाईकोर्ट में शिंदे गुट ने याचिका दायर कर स्पीकर के फैसले के उस बिंदु को चुनौती दी है जिसमें उद्धव गुट के 14 शिवसेना विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया गया था।अपने फैसले में स्पीकर ने जहां एक तरफ शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया था वहीं उद्धव गुट के 14 विधायकों को भी अयोग्य नहीं ठहराया था। शिंदे गुट को इस बात पर अब आपत्ति है कि उद्धव गुट के इन 14 विधायकों को स्पीकर ने क्यों अयोग्य नहीं ठहराया है।
इन 14 विधायकों के खिलाफ शिंदे गुट वाली सत्तारूढ़ शिवसेना के मुख्य सचेतक भरत गोगावले द्वारा हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया है कि वह विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्वारा प्रस्तुत अयोग्यता याचिकाओं को खारिज करने के 10 जनवरी के आदेश को को चुनौती दे रहे हैं।
इस याचिका में कहा कहा गया है कि उद्धव ठाकरे समूह के विधायकों ने न केवल व्हिप का उल्लंघन किया, बल्कि जून 2022 में पार्टी में विभाजन के बाद स्वेच्छा से शिवसेना राजनीतिक दल की सदस्यता भी छोड़ दी।
इसमें दावा किया गया है कि स्पीकर इस बात पर विचार करने में विफल रहे कि सदस्यता छोड़ने के साथ-साथ (शिवसेना-यूबीटी) सदस्यों ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ मिलकर शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ भी मतदान किया था।
वहीं प्राप्त जानकारी के मुताबिक भरत गोगावले की याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई होगी।
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