दिल्ली में कोरोना के मामले में क्या स्थिति काफ़ी ज़्यादा ख़राब है? एक हफ़्ते में तीसरी बार कोरोना पर अमित शाह केजरीवाल की बैठक हुई है। इसमें मुख्यमंत्री के अलावा लेफ़्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी शामिल हुए। वीडियो कॉन्फ़्रेंस से यह बैठक हुई और इसमें दिल्ली में कोरोना के मामले को लेकर समीक्षा की गई।
यह बैठक ऐसे दौर में हुई है जब रविवार को ही दिल्ली में 24 घंटे में संक्रमण के 3000 से ज़्यादा मामले सामने आए हैं। एक दिन पहले यानी शनिवार शाम को आई रिपोर्ट में बताया गया था कि 24 घंटे में 3630 नये संक्रमण के मामले आए थे। सिर्फ़ दिल्ली में ही संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 59746 हो गयी है और मरने वाले लोगों की संख्या 2175 हो गई है। हाल ही में एक सरकारी पैनल ने ही अनुमान लगाया है कि दिल्ली में इस महीने के आख़िर में 1 लाख तक कोरोना के मामले आ सकते हैं और हाल में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री ने कहा था कि जुलाई के आख़िर में क़रीब 5.5 लाख तक मामले आ सकते हैं। यह काफ़ी चिंता करने वाली स्थिति है।
शाह ने गुरुवार को ही मुख्यमंत्री से मुलाक़ात की थी जब उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की स्थिति की समीक्षा की, इसमें उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ हिस्से भी शामिल थे। तब इस बात पर ज़ोर दिया गया था कि दिल्ली और उसके पड़ोसी क्षेत्रों को वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में एक साथ आना चाहिए और इसकी नज़दीकी शहरी संरचना को देखते हुए, इसे एक माना जाना चाहिए।
इससे पहले पिछले रविवार को भी कोरोना पर अमित शाह केजरीवाल की बैठक हुई थी। तब उस बैठक में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी शामिल थे। फ़िलहाल वह कोरोना संक्रमित पाए गए हैं और आइसोलेशन में हैं।
इन बैठकों में तेज़ी तब आई है जब हाल ही में दिल्ली में कोरोना संक्रमण, जाँच व्यवस्था, अस्पतालों की हालत पर 'भयावह और दयनीय' स्थिति कहकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 12 जून को कहा था कि राजधानी में कोरोना के मरीजों का इलाज जानवरों से भी बदतर ढंग से हो रहा है। शीर्ष अदालत की तीन जजों की बेंच ने कोरोना मरीजों के इलाज में हो रही लापरवाहियों का स्वत: संज्ञान लिया है। बेंच में शामिल जस्टिस एम.आर. शाह ने कहा, ‘एक मामले में तो शव कूड़ेदान में मिला। यह क्या हो रहा है।’
अदालत ने अरविंद केजरीवाल सरकार से कहा कि वह कोरोना वायरस की टेस्टिंग कम क्यों हो रही है, इस बारे में जवाब दे। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘आपकी टेस्टिंग हर दिन 7 हज़ार से नीचे होते हुए 5 हज़ार तक क्यों चली गई जबकि मुंबई और चेन्नई ने अपनी टेस्टिंग को 16 हज़ार से 17 हज़ार तक बढ़ा दिया है।’
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