कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में छात्र संगठनों ने बुधवार को दिल्ली में सिटीजन मार्च निकालने की कोशिश की। यह मार्च मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक निकाला जाना था लेकिन पुलिस ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया।
इस दौरान आइसा, एसएफ़आई, एआईएसएफ़, डीएसएफ़, एनएसयूआई, सीवाईएसएस सहित कुछ अन्य छात्र संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाज़ी की। पुलिस ने कहा कि इस इलाक़े में धारा 144 लागू है, इसलिए मार्च निकालने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी। 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद से ही दिल्ली पुलिस खासी सतर्क है।
टिकैत बोले- क़ानून वापस ले सरकार
बुधवार को जींद में हुई किसान महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने लोगों को संबोधित करते हुए चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि अभी किसान कृषि क़ानूनों की वापसी की बात कर रहे हैं, अगर गद्दी वापसी की बात की तो सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। टिकैत ने कहा कि उन्हें लोगों का साथ चाहिए। उन्होंने नारा लगवाया कि जब-जब राजा डरता है, किलेबंदी करता है।
टिकैत ने टिकरी, सिंघु और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर नुकीली कीलें लगाने को लेकर सरकार को चेताया। उन्होंने सरकार से कहा कि वह किसानों की मांगों को तुरंत मान ले। टिकैत ने कहा कि गिरफ्तार किसानों को रिहा किया जाए, इसके बाद ही सरकार से बातचीत संभव है।
विपक्ष का मिला समर्थन
हर दिन तेज़ हो रहे और फैलते जा रहे किसान आंदोलन को विपक्षी नेताओं का पूरा समर्थन मिल रहा है। किसान आंदोलन का नया केंद्र बने ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बीते एक हफ़्ते में कई राजनीतिक दलों के नेता पहुंचे हैं। हालांकि किसानों ने किसी नेता को उनके मंच का राजनीतिक इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी है।
किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो-
मंगलवार को दिन में शिव सेना के सांसद संजय राउत ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पहुंचे थे और आंदोलन को समर्थन दिया। राउत किसान नेता राकेश टिकैत से मिले और कहा कि महाराष्ट्र सरकार किसानों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे किसानों के समर्थन में हैं।
इसके अलावा समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल, शिरोमणि अकाली दली के नेता भी ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दे चुके हैं।
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