छात्रों ने भी प्रिंसिपल को ईमेल भेजा, जिसमें कहा, "हम आपको 17 फरवरी, 2024 (शनिवार) को सेंट स्टीफंस कॉलेज के 100 से अधिक प्रथम वर्ष के छात्रों को भेजे गए ईमेल के संबंध में लिख रहे हैं, जिसमें उन्हें सेमेस्टर 2 परीक्षाओं से निलंबित और वंचित कर दिया गया था।"
छात्रों ने ईमेल में कहा कि कई लोगों के लिए अपॉइंटमेंट तय करना संभव नहीं था। चूंकि उनके माता-पिता दिल्ली-एनसीआर में नहीं रहते हैं और इसलिए, उनके लिए अल्प सूचना पर दिल्ली की यात्रा करना संभव नहीं था। साथ ही उनके पहले से कहीं जाने की वजह से उनका दिल्ली आने का प्रोग्राम शेड्यूल नहीं हो पाया। कुछ के लिए वित्तीय कारण भी थे।
दावा किया गया कि छात्रों के माता-पिता और अभिभावकों को भेजे गए एक ईमेल में बताया गया है कि उनके बच्चों को दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा से रोक दिया गया है, जिसे प्रिंसिपल के निजी सचिव ने लिखा था। छात्रों के माता-पिता और अभिभावकों को भेजे गए ईमेल के अनुसार, "अफसोस की बात है कि अनुरोध का अनुपालन न करने के कारण, मैं आपको सूचित करता हूं कि निलंबन के परिणामस्वरूप छात्रों को आगामी परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी।"
कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख संजीव ग्रेवाल ने 20 फरवरी (मंगलवार) को प्रिंसिपल वर्गीस को लिखे एक ईमेल में कहा, "मैं यह जानकर काफी हैरान हूं कि बड़ी संख्या में छात्रों को कॉलेज से निलंबित कर दिया गया है और धमकी दी गई है कि उन्हें परीक्षाओं में बैठने से भी रोका जा सकता है। मेरी राय में, छात्रों को विश्वविद्यालय के नियमों में स्पष्ट रूप से बताए गए आधार पर ही परीक्षाओं में बैठने से रोका जा सकता है। जहां तक मेरी जानकारी है, सुबह की असेंबली में कॉलेज में उपस्थिति की कमी के कारण छात्रों को परीक्षाओं में बैठने से रोकने का आधार नहीं है।"
ग्रेवाल ने कहा, "मॉर्निंग असेंबली सेंट स्टीफंस कॉलेज का एक विशिष्ट कार्यक्रम है और इसे विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। न ही मेरी विनम्र राय में मॉर्निंग असेंबली में भाग लेने में विफलता कॉलेज से निलंबन का वैध आधार बनती है।"
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