दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित की चिता की आग अभी ठंडी नहीं हुई है, उनकी अस्थियाँ अभी गंगा में विसर्जित नहीं हुई हैं कि उनके कथित ‘आख़िरी ख़त’ ने कांग्रेस में हड़कंप मचा दिया है। सूत्रों के मुताबिक़ शीला दीक्षित ने 8 जुलाई को सोनिया गाँधी को चिट्ठी लिख कर शिकायत की थी कि माकन और दिल्ली के प्रभारी पीसी चाको उन्हें काम नहीं करने दे रहे हैं। सोनिया गाँधी को लिखी उनकी यह कथित चिट्ठी उनका ‘आख़िरी ख़त’ साबित हुआ।
हैरानी की बात यह है कि शीला दीक्षित के जिस ‘आख़िरी ख़त’ पर पार्टी में बवाल मचा हुआ है उसकी प्रति किसी के पास नहीं है। मीडिया मे ख़बर चलवाने वाले कांग्रेस के नेता यह तो बता रहे हैं कि चिट्ठी में क्या लिखा है, लेकिन वह चिट्ठी की कॉपी नहीं दिखा रहे हैं। यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी का दफ़्तर इस चिट्ठी की ख़बर की न तो पुष्टि कर रहा है और न ही खंडन कर रहा है।
सूत्रों का दावा है कि सोनिया गाँधी को लिखे अपने ‘आख़िरी ख़त’ में शीला दीक्षित ने दिल्ली की अंदरूनी गुटबाज़ी के लिए कई नेताओं को ज़िम्मेदार ठहराते हुए उनकी भूमिकाओं की जाँच कराने की भी माँग की थी। शीला ने अपने ‘आख़िरी ख़त’ में अजय माकन और पीसी चाको पर आपसी साँठगाँठ से ख़ुद को परेशान करने का आरोप लगाया है। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने इसमें लिखा था, ‘माकन के इशारे पर चाको बेवजह क़दम उठा रहे हैं और मेरे काम में अड़ंगा लगा रहे हैं। चाको और माकन दिल्ली में गठबंधन चाहते थे, लेकिन मैं ही उसके ख़िलाफ़ खड़ी रही। नतीजा आपके सामने है। कांग्रेस बिना गठबंधन के दूसरे नंबर पर आई। दिल्ली कांग्रेस के हालिया विवाद में आप हम तीनों की भूमिका की जाँच करा लें। मेरे आरोप सही साबित होंगे।’
पीसी चाको और माकन से था विवाद
शीला दीक्षित के बेहद क़रीबी और उनकी तीनों सरकारों में मंत्री रहे दिल्ली के एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता से जब ‘सत्यहिंदी’ ने इस कथित ‘आख़िरी ख़त’ के बारे में बात की तो उन्होंने माना कि शीला दीक्षित, पीसी चाको और माकन के बीच विवाद तो काफ़ी तीखा चल रहा था। लेकिन उन्हें क़तई उम्मीद नहीं है कि शीला जी ने सोनिया जी को ऐसा कोई ख़त लिखा होगा। हालाँकि वह यह भी मानते हैं कि बग़ैर आग के धुआँ नहीं उठता। उनके मुताबकि़ यह मुमकिन है कि शीला के किसी नज़दीकी नेता ने उनसे ख़त लिखवाकर दस जनपथ भिजवा दिया हो।
हालाँकि उन्होंने यह स्वीकर किया कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शीला दीक्षित के दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद बहुत से चापलूस टाइप नेता उनके इर्द-गिर्द इकट्ठा हो गए थे। इनका काम ही दिल्ली के दूसरे नेताओं के ख़िलाफ़ उनके कान भरना था। कई नेता छह महीने बाद होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में टिकट पाने के लिए भी उनकी चापलूसी कर रहे थे।
क्या माकन के ख़िलाफ़ साज़िश?
पार्टी के कुछ नेता इसे अजय माकन के ख़िलाफ़ साज़िश भी मानते हैं। उनका तर्क है कि शीला दीक्षित के आकस्मिक निधन के बाद अजय माकन को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की बागडोर मिलना तय माना जा रहा था। लिहाज़ा उनके विरोधी शीला के ‘आख़िरी ख़त’ के बहाने उनके रास्ते में रोड़ा अटकाने की कोशिशें कर रहे हैं। उनकी मंशा इस विवाद को तूल देकर पीसी चाको को दिल्ली के प्रभारी पद से हटवाना और अजय माकन को प्रदेश अध्यक्ष बनने से रोकना है। विवाद तूल पकड़ेगा तो पार्टी आलाक़मान विवाद में फँसे नेताओं को दरकिनार करके अन्य विकल्पों पर विचार करेगा।
बीते शनिवार को दिल का दौरा पड़ने से शीला दीक्षित का निधन हो गया था। शीला दीक्षित दिसंबर 1998 से दिसंबर 2013 तक दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकी थीं। मुख्यमंत्री रहने के बाद शीला दीक्षित केरल की राज्यपाल भी रह चुकी थीं। वर्तमान में वह दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष थीं।
लोकसभा चुनावों से पहले से ही उनके पीसी चाको और अजय माकन से मतभेद थे। आम आदमी पार्टी से गठबंधन को लेकर यह मतभेद काफ़ी तीखे थे। शीला आम आदमी पार्टी से गठबंधन के ख़िलाफ़ थीं। वहीं चाको और अजय माकन गठबंधन के हक़ में थे। अब शीला दीक्षित के कथित ‘आख़िरी ख़त’ ने इस गुटबाज़ी को सार्वजनिक कर दिया है।
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