दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संजय सिंह को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को ईडी की तीन दिन की हिरासत ख़त्म होने के बाद आज राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल के सामने पेश किया गया। इससे पहले उन्हें पांच दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेजा गया था। इसके साथ ही संजय सिंह ने मामले में अपनी गिरफ्तारी और ईडी हिरासत को चुनौती देते हुए आज दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
उनको ईडी ने 4 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। दिल्ली में उनके आवास पर तलाशी ली गई थी। संजय सिंह इस मामले में गिरफ्तार होने वाले तीसरे आप नेता हैं। स्पेशल कोर्ट ने इससे पहले आप के दो अन्य नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन को ईडी और सीबीआई द्वारा दर्ज मामलों में जमानत देने से इनकार कर दिया था। इन दोनों को दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी दोनों एफआईआर में जमानत देने से इनकार कर दिया है।
बता दें कि संजय सिंह की गिरफ़्तारी से पहले आबकारी नीति केस के सिलसिले में उनके घर छापेमारी हुई थी। इस केस की चार्जशीट में संजय सिंह का भी नाम है। इसी केस में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जेल में बंद हैं। आरोप है कि आप की जब दूसरी बार सरकार बनी, तब उस दौरान शराब नीति को लेकर ऐसे नियम बनाए गए ताकि कुछ लोगों को विशेष तौर पर लाभ हो। जिस समय ये शराब नीति बनाई गई, उस समय मनीष सिसोदिया मंत्री थे।
इससे पहले संजय सिंह के तीन करीबियों के ठिकाने पर ईडी ने मई 2023 में छापा मारा था। उनके फोन जब्त किए गए थे। संजय सिंह के इन तीन करीबियों में सर्वेश मिश्रा,अजीत त्यागी और विवेक शामिल हैं। इसके बाद संजय सिंह ने ईडी पर कई आरोप लगाये थे। मामले में आरोपी व्यवसायी दिनेश अरोड़ा द्वारा संजय सिंह का नाम लिए जाने के बाद ईडी ने उनके आवास पर छापेमारी की थी, जो बाद में ईडी और सीबीआई दोनों मामलों में सरकारी गवाह बन गया।
अरोड़ा को ईडी के साथ-साथ सीबीआई ने भी गिरफ्तार किया है। ईडी का मामला पिछले साल सितंबर में दर्ज किया गया था। यह अगस्त में दर्ज की गई सीबीआई एफआईआर पर आधारित है। ईडी का आरोप है कि दिनेश अरोड़ा के एक कर्मचारी ने संजय सिंह के घर पर दो बार में 2 करोड़ रुपये पहुंचाए।
इस पर संजय सिंह ने आरोप लगाया था कि उनका नाम दिनेश अरोड़ा के बयानों के आधार पर जोड़ा गया है। आप नेता ने यह भी आरोप लगाया था कि अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करके उनकी सार्वजनिक छवि खराब की और उनके खिलाफ मुक़दमा चलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले ही अधिकारियों को खुली और सार्वजनिक माफी जारी करने के लिए कानूनी नोटिस भेजा था।
बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा कथित भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद शराब नीति को रद्द कर दिया गया था। ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया है कि 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की शराब नीति ने गुटबंदी होने दी और लाइसेंस के लिए रिश्वत देने वाले कुछ डीलरों का पक्ष लिया।
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