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प्रतिकात्मक तस्वीर

दिल्ली पुलिस ने दी '...गोली मारो सालों को' नारे के साथ प्रदर्शन की अनुमति?

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के जिस 'देश के गद्दारों को... गोली मारो सालों को' नारे को हत्या के लिए उकसाने वाला बताया गया उसी नारे के साथ प्रदर्शन करने को अब दिल्ली पुलिस द्वारा अनुमति दिए जाने का दावा किया गया है। यह दावा मुंबई के सामाजिक कार्यकर्ता साकेत गोखले ने किया है। हालाँकि, बाद में पुलिस ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि ऐसी कोई अनुमति नहीं दी गई है। साकेत गोखले ने इसके लिए पुलिस से अनुमति माँगी थी कि वह 'देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को' नारे के साथ जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना चाहते हैं। 

यह पूरा मामला तब आया है जब दो दिन पहले ही नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ जुलूस निकाल रहे लोगों पर जामिया में गोली चलाई गई और आज यानी शनिवार को भी शाहीन बाग़ क्षेत्र में गोली चलने की घटना हुई है। 

सामाजिक कार्यकर्ता साकेत गोखले ने इसको लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है, "चौंकानेवाले अंदाज़ में दिल्ली पुलिस ने मुझे  'देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को' नारे के साथ रैली करने की अनुमति दी है। यह अनुमति आज मुझे तब दी गई जब मैं पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन गया। लगता है इस नारे को राज्य की अनुमति प्राप्त है।" 

यह साकेत गोखले वही हैं जिन्होंने 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' को लेकर गृह मंत्रालय से आरटीआई से जानकारी माँगी थी और गृह मंत्रालय ने कहा था कि उसके पास 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' की कोई जानकारी नहीं है।

इसके अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा कि ऐसी रैली करने का मेरा कोई इरादा नहीं है। उन्होंने लिखा है, 'मैं सिर्फ़ यह जानना चाहता था कि पुलिस लिखित में दे कि वे इस निंदनीय नारे के बारे में क्या सोचते हैं। क़ानूनी रूप से वैध प्रदर्शनों को अनुमति नहीं मिलती है, लेकिन इस मामले में चौंकाने वाले अंदाज़ में मिल गई।'

गोखले ने दावा किया है कि उन्होंने दो फ़रवरी को प्रदर्शन की अनुमति माँगी थी। उन्होंने इसमें कहा था कि हमारे सामाज में शांति और साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाले लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग करने के लिए वह यह प्रदर्शन करना चाहते हैं। 

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हालाँकि बाद में उन्होंने एक अन्य ट्वीट कर जानकारी दी है कि उन्हें बाद में एसीपी एचएएक्स सेल से फ़ोन कर बताया गया कि चुनावी आचार संहिता लगे होने के कारण इस नारे के साथ प्रदर्शन में दिक्कत हो सकती है। गोखले ने लिखा है कि उनसे अब आग्रह किया गया है कि वह अपना प्रदर्शन आठ फ़रवरी के बाद कर लें। गोखले ने लिखा है कि यदि यह वास्तव में उल्लंघन है तो अनुराग ठाकुर को गिरफ़्तार क्यों नहीं किया जाता है? इसके साथ ही उन्होंने एक अन्य ट्वीट में दावा किया कि पुलिस ने बार-बार उनसे पूछा कि क्या वह नागरिकता क़ानून यानी सीएस के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करना चाहते हैं। उनका दावा है कि उन्हें पुलिस ने अनुमति तब दी जब उन्होंने कहा कि यह साम्प्रदायिक ताक़तों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन है। 

साकेत गोखले के इस दावे के बाद पुलिस ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। इसको लेकर डीसीपी नई दिल्ली ने ट्वीट किया, 'यह स्पष्ट किया जाता है कि साकेत गोखले को 2 फ़रवरी 2020 को प्रदर्शन करने की कोई अनुमति नहीं दी गई है। सोशल मीडिया में प्रार्थना पत्र की एक कॉपी को अनुमति कहकर सर्कुलेट किया जा रहा है, जो सही नहीं है।'
बहरहाल, सवाल है कि जब नेताओं के भड़काऊ भाषणों के बाद एक के बाद एक गोली चलने की घटनाएँ सामने आ रही हैं तो ऐसे नारे के साथ प्रदर्शन करने की अनुमति क्या दी जानी चाहिए?

बता दें कि बीजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और सांसद प्रवेश वर्मा आपत्तिजनक बयान दिया था। ठाकुर ने '...गोली मारो सालों को' का नारा लगवाया था, जबकि प्रवेश वर्मा ने नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों के बारे में कहा था कि 'ये लोग घरों में घुसेंगे और बहन व बेटियों का रेप करेंगे।' उनके भाषणों की इसलिए चौतरफ़ा आलोचना हुई कि उनके बयान ध्रुवीकरण करने वाले थे और सांप्रदायिकता को बढ़ाने वाले थे। इसके बाद चुनाव आयोग ने दोनों नेताओं को पार्टी के स्टार कैंपेनरों की सूची से हटाने के आदेश दिए थे। आयोग ने नोटिस में कहा है कि दोनों नेताओं पर यह आदेश तुरंत प्रभाव से और अगले आदेश तक लागू हो। लेकिन जब मामूली कार्रवाई किए जाने पर चुनाव आयोग की काफ़ी आलोचना हुई थी तब दोनों पर कुछ समय के लिए प्रचार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। 

बता दें कि इसके पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव में मॉडल टाउन से बीजेपी उम्मीदवार कपिल मिश्रा ने यही नारा लगाया था। उन्होंने एक रैली निकाली थी, जिसमें वे इसी तरह के नारे लगाते हैं और उनके साथ चल रहे पार्टी कार्यकर्ता इसी तरह का जवाब देते हैं।

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इन नेताओं के ऐसे ही भड़काऊ भाषणों और बयानबाज़ी के बाद जामिया क्षेत्र में एक के बाद एक गोली चलाने की कई घटनाएँ सामने आ रही हैं। नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ दिल्ली के शाहीन बाग़ में चल रहे धरने में शनिवार को पहुँचे एक शख़्स ने फ़ायरिंग कर दी। हमलावर ने हिरासत में लिए जाते वक्त कहा, ‘हमारे देश में सिर्फ़ हिन्दुओं की चलेगी।’

कुछ दिन पहले ही जामिया मिल्लिया इसलामिया के पास एक नाबालिग शख़्स ने गोली चला दी थी। इसे लेकर ख़ासा हंगामा हुआ था। इस शख़्स ने सरेआम रिवॉल्वर लहराते हुए ‘ये लो आज़ादी’ कहते हुए गोली चलाई थी और ‘दिल्ली पुलिस जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए थे। ऐसे में ऐसे नारे के साथ प्रदर्शन की अनुमति क्यों दी गई?

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अमित कुमार सिंह
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