दिल्ली-एनसीआर की हवा हद से ज़्यादा ख़राब हो गई है और इसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने सोमवार से राजधानी में ऑड-ईवन फ़ॉर्मूला लागू कर दिया है। यह 15 नवंबर तक लागू रहेगा। ऑड-ईवन फ़ॉर्मूला यानी गाड़ी नंबर की आख़िरी संख्या के ऑड होने पर ऑड तारीख़ और ईवन होने पर ईवन की तारीख पर चलाने का फ़ॉर्मूला। साफ़ शब्दों में कहें तो दिल्ली में 4, 6, 8, 10, 12 और 14 नवंबर को ईवन नंबर वाली गाड़ियाँ चलेंगी, जबकि 5, 7, 9, 11, 13 और 15 नंवबर को ऑड नंबर वाली गाड़ियाँ चलेंगी।
ऑड-ईवन को लागू करना इसलिए ज़रूरी हो गया है कि दिल्ली में प्रदूषण के कारण मेडिकल इमरजेंसी घोषित करनी पड़ी है। एक नवंबर को ही दिल्ली-एनसीआर में हवा इतनी ज़हरीली हो गई थी कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आपात स्थिति घोषित कर दी गई। स्कूल बंद करने की घोषणा कर दी गई। पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण ने निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया। और अब रविवार को ऐसी स्थिति हो गई कि हवा ज़हर-सी हो गई है। साँस लेने में दिक्कत हो रही है। अस्थमा के मरीजों की हालत ख़राब है। फॉग इतना रहा कि कम से कम 32 उड़ानों को दिल्ली से जयपुर, अमृतसर और लखनऊ हवाई अड्डों के लिए डायवर्ट करना पड़ा। दिल्ली के साथ ही नोएडा और ग्रेडर नोएडा में भी 12वीं तक के स्कूलों को बंद करने की घोषणा कर दी गई।
हवा की ऐसी स्थिति एकाएक नहीं पहुँची है। दीपावली के अगले दिन हवा ख़राब थी, फिर सीवियर यानी गंभीर और गंभीर प्लस हुई और अब यह सीवियर प्लस इमरजेंसी के स्तर पर पहुँच गई है। प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए काम करने वाली संस्था ने दो दिन पहले ही कहा था कि वायु प्रदूषण इतना ख़तरनाक स्तर पर पहुँच गया है कि इसका स्वास्थ्य पर और ख़ासतौर पर बच्चों के स्वास्थ्य पर बहुत ख़तरनाक असर होगा।
इस मौसम में पहली बार एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी हवा की गुणवत्ता 'सीवियर प्लस इमरजेंसी' यानी काफ़ी ज़्यादा गंभीर हो गई है। दिल्ली में रविवार को दोपहर 12 बजे औसत रूप से 625 एक्यूआई था, जबकि सुबह 9 बजे यह 410 था। बता दें कि 201 से 300 के बीच एक्यूआई को ‘ख़राब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत ख़राब’ और 401 और 500 के बीच होने पर उसे सीवियर यानी ‘गंभीर’ माना जाता है। एयर क्वॉलिटी इंडेक्स से हवा में मौजूद 'पीएम 2.5', 'पीएम 10', सल्फ़र डाई ऑक्साइड और अन्य प्रदूषण के कणों का पता चलता है। पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर वातावरण में मौजूद बहुत छोटे कण होते हैं जिन्हें आप साधारण आँखों से नहीं देख सकते। 'पीएम10' अपेक्षाकृत मोटे कण होते हैं।
यदि हवा की गुणवत्ता 48 घंटे से अधिक समय तक ‘गंभीर प्लस’ श्रेणी में बनी रहती है तो ऑड-ईवन योजना, शहर में ट्रकों के प्रवेश पर रोक, निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध और स्कूलों को बंद करने जैसे आपातकालीन उपाय उठाये जाते हैं।
सवाल यह है कि ऑड-ईवन से क्या स्थिति सुधर जाएगी? हालाँकि पिछली बार जब इसे लागू किया गया था तो माना जाता है कि इसका सकारात्मक असर हुआ था। लेकिन क्या सिर्फ़ ऑड-ईवन करना ही इस समस्या का समाधान है?
अब तक दो बार लागू हुआ है ऑड-ईवन
दिल्ली में अब तक दो बार ऑड-ईवन लागू हो चुका है। पहली बार 2016 में एक से 15 जनवरी तक और फिर उसी साल 15 से 30 अप्रैल तक लागू किया गया था। जब पहली बार ऑड-ईवन लागू हुआ था तब इस पर काफ़ी विवाद हुआ था और मामला एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पहुँचा था। तब एनजीटी ने दिल्ली सरकार को ऑड-ईवन शर्तों के साथ लागू करने का आदेश दिया था। इसके बाद दिल्ली सरकार ने तब रिव्यू पिटीशन दायर की थी। अपनी रिव्यू पिटीशन में सरकार ने एनजीटी से कहा था कि वह बाक़ी और राज्यों में भी ऑड-ईवन लागू करने का आदेश दे। इसमें दिल्ली से लगे राज्य पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान शामिल थे। हालाँकि एनजीटी ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था।
दोपहिया वाहनों और महिलाओं को ऑड-ईवन के दौरान किसी भी तरह की कोई छूट देने को लेकर एनजीटी ने मना कर दिया था। महिलाओं को ऑड-इवन में छूट देने पर दिल्ली सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि ऑड-ईवन के दौरान पब्लिक ट्रांसपोर्ट पहले ही भीड़-भाड़ वाला होता है। ऐसे में अगर महिलाओं को भी शामिल किया जाए तो ये सफ़र उनके लिए बेहद तकलीफदेह सफर साबित होगा।
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