इस साल फ़रवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर और जाफ़राबाद समेत कुछ इलाक़ों में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे।
एक महत्वपूर्ण आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली विधानसभा की समिति से कहा है कि वह फ़ेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष व प्रबंध निदेशक अजीत मोहन के ख़िलाफ़ 15 अक्टूबर तक कोई कार्रवाई न करे।
दिल्ली पुलिस फरवरी में राजधानी में हुए दंगों में लोगों को फँसाना चाहती है, यह इससे साफ है कि इसने दंगों की साजिश के पीछे जो कहानी गढ़ी, उसका बड़ा झूठ पकड़ा गया। इस झूठ के पकड़े जाने के बाद दिल्ल पुलिस ने एक दूसरी चार्जशीट दाख़िल की।
क्या दिल्ली पुलिस इस साल फरवरी में राजधानी में हुए दंगों के असली दोषियों तक पहुँचना ही नहीं चाहती है? क्या वह दंगाइयों को बचाने के लिए दंगे की असली वजह की तलाश करने के बजाय इधर-उधर की बात कर रही है?
दिल्ली दंगे के छह महीने बाद भी सभी पीड़ितों को राहत नहीं मिल पाई है। दिल्ली सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि प्रभावित परिवारों को राहत मिलने में देरी हुई, हर्जाना कम मिला है, हर्जाने की माँग वाले कई आवेदनों को ग़लत तरीक़े से खारिज़ किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘यूपीएससी जिहाद’ जैसे कार्यक्रम को विषैला क़रार दिए जाने के बाद अब दिल्ली हाईकोर्ट ने फिर एक बार टीवी न्यूज़ चैनलों को संयम बरतने की हिदायत दी है।
दिल्ली दंगों में पुलिस ने पाँच एफ़आईआर ऐसी दायर की हैं जो एक-दूसरे की नकल लगती हैं। दिल्ली सरकार के गृह विभाग ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर यह मुद्दा उठाने का फ़ैसला किया है।
इस साल फ़रवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर और जाफ़राबाद समेत कुछ इलाक़ों में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे।
क्या दिल्ली पुलिस इस साल फरवरी में हुए सांप्रदायिक दंगों के बहाने समान नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ आन्दोलन चलाने वालों को फंसाना चाहती है? क्या उसका मक़सद दंगों की जाँच और उसके दोषियों को सज़ा दिलाना नहीं है?
उमर खालिद की रिहाई की माँग को लेकर सैयदा हमीद, प्रशांत भूषण, कन्हैया कुमार जैसे एक्टिविस्टों ने बयान जारी किया है। उन्होंने दिल्ली हिंसा में दिल्ली पुलिस की जाँच पर सवाल उठाए हैं।
जूलियो रिबेरो के बाद अब 9 और पूर्व आईपीएस अफ़सरों ने दिल्ली दंगों की जाँच पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव को खुला ख़त लिखा है और कहा है कि दिल्ली दंगा जाँच में खामियाँ हैं।