ऐसे समय जब दिल्ली में कोरोना संक्रमितों की संख्या एक बार फिर बढ़ रही है, सरकार ने एक एक्शन प्लान बनाया है। रोज़ाना की जाने वाली कोरोना जाँच की संख्या दूनी करने, 750 बिस्तर अलग से तैयार रखने और ऑक्सीजन सिलिंडर मुहैया कराने पर फ़ैसला हुआ है।
दिल्ली-एनसीआर और इसके आसपास के क्षेत्रों में दीवाली के दिन यानी शनिवार को प्रदूषण ख़तरनाक स्तर तक पहुँच गया। पटाखों पर प्रतिबंध लगे होने के बावजूद कई क्षेत्रों में इसके छोड़े जाने की गूँज सुनाई दी।
ज़बरदस्त कोरोना संक्रमण की चपेट में आई दिल्ली में बेड कम पड़ने की समस्या को लेकर हाई कोर्ट ने कहा है कि 33 निजी अस्पतालों में 80 फ़ीसदी आईसीयू बेड कोरोना मरीज़ों के लिए आरक्षित रखे जा सकते हैं।
पराली से दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के उपायों की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी को निलंबित कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय तब लिया जब केंद्र सरकार ने कहा कि वह क़ानून के माध्यम से एक स्थायी संस्था गठित करेगी।
दिल्ली में ज़हरीली हवा पर फिर से हंगामा शुरू हो गया है। यह हर साल होता है। बिल्कुल रस्म अदायगी की तरह! क्या वजह है कि सालों साल वही समस्या चली आ रही है? समस्या भी सामान्य नहीं है। आख़िर इसका समाधान क्यों नहीं हो रहा है?
दिल्ली में हवा ज़्यादा ख़राब हुई तो पराली जलाने के लिए पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को फिर से ज़िम्मेदार बताया जाने लगा। किसान पराली क्यों जला रहे हैं और क्या पराली जलाने से ही दिल्ली की हवा दमघोंटू हो जा रही है?
हाथरस गैंगरेप मामले में चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने कहा कि परिवार की गैर मौजूदगी में देर रात को शव जला दिए जाने का साफ़ मतलब है कि यूपी सरकार और पुलिस सबूतों को ख़त्म करना चाहती है।
दिल्ली दंगों की जाँच कर रही पुलिस जिस तरह छात्रों और एक्टिविस्ट के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रही है, उससे भारतीय राज्य उत्पीड़न की अंधेरी रात में प्रवेश कर रहा है।