अरविंद केजरीवाल अब रामभक्त भी हो गए। दिल्ली में अपनी सरकार को रामराज्य लाने वाली सरकार बनाने का संकल्प भी कर लिया और उन दस सूत्रों को भी गिनवा दिया जिनसे साबित हो सके कि केजरीवाल तो पक्के रामभक्त हैं।
अरविंद केजरीवाल सरकार दिल्ली सरकार के अस्पतालों में सभी के लिए मुफ़्त में कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराएगी। मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सरकार के बजट पेश करते हुए इसकी घोषणा की है।
दिल्ली की एक अदालत ने बाटला हाउस मुठभेड़ में आरिज़ ख़ान को दोषी पाया है। उस पर दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की हत्या करने का आरोप था। वह आतंकवादी गुट इंडियन मुजाहिदीन का सदस्य है।
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के पांच वार्डों के उपचुनाव में आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है। पांच में चार वार्ड में उसने जीत हासिल की है जबकि कांग्रेस को 1 वार्ड में जीत मिली है।
पिछले साल फरवरी में दिल्ली में हुए दंगों की जाँच को लेकर विवादों में घिर चुकी दिल्ली पुलिस की तीखी आलोचना अब अदालत भी कर रही है। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अभियुक्त के कथित कबूलनामे के लीक होने की जाँच रिपोर्ट पर पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि यह 'आधा-अधूरा और बेकार काग़ज़ का टुकड़ा है।'
लाल क़िले पर निशान साहिब फहराने के मामले के मुख्य अभियुक्त दीप सिद्धू को लेकर दिए गए एक बयान के कारण शिरोमणि अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा घिर गए हैं।
दिशा रवि को जमानत मिल गई और इस ज़मानत देते समय कोर्ट ने जो टिप्पणी की है वह दिल्ली पुलिस के लिए बड़ा झटका है। अदालत ने कहा है कि जिन आरोपों के तहत दिशा को गिरफ़्तार किया गया है उसके लिए रत्ती भर सबूत नहीं है।
दिल्ली दंगे के एक साल हो गए। देश इसे एक बुरे सपने की तरह शायद भूलने की कोशिश में है, लेकिन बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने एक ताज़ा विवादित बयान देकर उन घटनाक्रमों की पीड़ा को फिर से ताज़ा कर दिया!
पर्यावरण के मुद्दों पर काम करने वाली कार्यकर्ता दिशा रवि को मंगलवार को जमानत मिल गई है। दिशा रवि को पटियाला हाउस कोर्ट ने 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे के एक साल बाद जाँच कहाँ पहुँची और क्या दंगा पीड़ितों को न्याय मिला? दंगे में 53 लोगों की जानें गई थीं और गई बेघर हुए थे। भारी नुक़सान पहुँचा था।
बीते साल फ़रवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर और जाफ़राबाद समेत कुछ और इलाक़ों में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे।
दिल्ली की एक अदालत ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण फ़ैसला दिया है। अदालत ने कहा है कि ‘शांति व क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए राजद्रोह का क़ानून बहुत ही कारगर हथियार है, पर समाज-विरोधियों को दबाने के नाम पर असहमति की आवाज़ को चुप नहीं कराया जा सकता है।’