चुनाव रैली में स्वागत करने के बहाने किसी नेता को थप्पड़ मार देना, काली स्याही फेंक देना सबसे आसान है। महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे ने सबसे पहले महात्मा का पैर छुआ, फिर उन्हें गोली मार दी। कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैया कुमार के साथ भाजपा के लोगों ने ऐसी ही हरकत की। हार पहनाया, फिर थप्पड़ मारे। भगवावादियों में से किसी में इतना साहस नहीं है कि कन्हैया से बहस करे और अपने सवालों से कन्हैया को हरा दे। इसीलिए यह घटिया और नीच तरीका अपनाया गया कि थप्पड़ मार दो। भारत में चुनाव ऐसे दौर में प्रवेश कर गया है जिसमें एक उग्र लोगों का एक समूह किसी की कोई बात सुनने को तैयार नहीं है। वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार की टिप्पणीः