साबरमती हॉस्टल के दो वार्डनों का कहना है कि उन्होंने जेएनयू कैंपस में पाँच जनवरी को शाम चार ही हाथों में लाठी और रॉड लिए नकाबपोशों की भीड़ को देखा था और उसी समय उन्होंने पुलिस और जेएनयू सुरक्षा कर्मियों को इसकी सूचना दे दी थी।
अंग्रेजी न्यूज़ चैनल ‘इंडिया टुडे’ के स्टिंग ऑपरेशन ने जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस की भूमिका को लेकर उठ रहे सवालों में कई और सवाल जोड़ दिये हैं।
इंडिया टुडे के स्टिंग ऑपरेशन में जेएनयू में बीए फ़्रेंच के फ़र्स्ट इयर के छात्र अक्षत अवस्थी कहते हैं कि सबसे पहले पहले पेरियार हॉस्टल पर हमला किया गया।
पुलिस ने कहा कि 5 जनवरी को सुबह 11.30 बजे कुछ छात्रों को पीटा गया। एसएफ़आई, आईसा, एआईएसएफ़, डीएसएफ़ ने दिन में 3.45 बजे पेरियार हॉस्टल के कुछ कमरों पर हमला किया।
गृह मंत्री अमित शाह की रैली में दो महिलाओं द्वारा नागरिकता क़ानून के विरोध वाला बैनर दिखाने पर उनको घर से निकाल दिया गया। वे किराए के मकान में रहते थे।
जेएनयू में रविवार देर शाम को जब नक़ाबपोश कैंपस में हिंसा करने उतरे तो वैसे लोगों को भी नहीं छोड़ा जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार दिव्यांग कहकर बुलाती है। नक़ाबपोशों ने गुहार लगाते दृष्टिहीन को भी नहीं छोड़ा।
जेएनयू में रविवार रात को हुई बर्बरता के ख़िलाफ़ देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। मुंबई से लेकर हैदराबाद और बेंगलुरू तक इस बर्बरता के ख़िलाफ़ छात्रों ने आवाज़ उठाई है।
जेएनयू में रविवार रात को नकाबपोशों द्वारा घातक हमले के बाद पुलिस ने दावा किया है कि कुछ नकाबपोशों की पहचान की गई है। हालाँकि अभी तक एक की भी गिरफ़्तारी नहीं हो पाई है।
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू में हिंसा के विरोध में छात्रों ने दिल्ली पुलिस के हेडक्वार्टर पर प्रदर्शन किया। छात्र हेडक्वार्टर के बाहर जमे हैं।