दिल्ली में दंगों के एक नये वीडियो में दिख रहा है कि एक हॉस्पिटल की छत पर कब्जा करे बैठे दंगाई नीचे खड़ी भीड़ पर फ़ायरिंग कर रहे हैं और बोतलें फेंक रहे हैं।
निर्भया रेप और हत्या के मामले में चारों दोषियों की फाँसी अब 20 मार्च को सुबह साढ़े पाँच बजे होगी। दिल्ली की एक अदालत ने यह ताज़ा डेथ वारंट जारी किया है।
क्या दिल्ली में दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस के पास पर्याप्त संख्या में जवान नहीं थे। अगर जवान होते तो क्या प्रदर्शनकारियों की भीड़ पुलिस पर पत्थर बरसा पाती?
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने अपनी रिपोर्ट में दंगों पर बहुत ही साफ़ शब्दों में कहा है कि ये दंगे ‘सुनियोजित’, और ‘एकतरफा’ थे और ‘मुसलमानों के घरों और दुकानों को अधिक नुक़सान हुआ है।’
सूत्रों के मुताबिक़, केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर मिश्रा को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। इसके तहत उन्हें 9 सुरक्षाकर्मी दिये गये हैं और ये 24 घंटे उनकी सुरक्षा में तैनात रहेंगे।
याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अन्य लोगों, जिन्होंने भड़काऊ भाषण दिये उनके ख़िलाफ अदालत एफ़आईआर करने का आदेश दे।
नाम 'शांति मार्च'। और नारे लगाए गए- 'किसी को मत माफ़ करो, जिहादियों को साफ़ करो', 'देश के गद्दारों को, गोली मारो ... को'। यह कैसा शांति मार्च! क्या बंदूक़ की गोली से कभी शांति आ सकती है?