बता दें कि साल 2012 तक दिल्ली में एकीकृत नगर निगम था लेकिन दिल्ली की तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार ने इसे उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी नगर निगमों में बांट दिया था। मौजूदा केंद्र सरकार ने इन्हें फिर से एकीकृत कर दिया था।
2012 के एमसीडी चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही लड़ाई रही थी क्योंकि तब आम आदमी पार्टी अस्तित्व में नहीं आई थी।
2012 और 2017 में एमसीडी में 272 वार्डों के लिए चुनाव हुआ था लेकिन नए परिसीमन के बाद अब इनकी संख्या 250 हो गई है।
2012 का एमसीडी चुनाव
2012 के एमसीडी चुनाव में बीजेपी को 138 वार्ड में जीत मिली थी जबकि कांग्रेस को 78 वार्ड में और बसपा को 15 वार्ड में जीत मिली थी। अन्य वार्ड निर्दलीयों, एनसीपी, इंडियन नेशनल लोकदल, राष्ट्रीय लोक दल, जेडीयू, समाजवादी पार्टी व कुछ और दलों के खाते में गए थे।
2012 में बीजेपी को 36.74 फीसद वोट मिले थे जबकि कांग्रेस को 30.54 फीसद वोट मिले थे। बसपा को 9.98 फीसद और निर्दलीय व अन्य उम्मीदवारों को लगभग 23 फीसद वोट मिले थे।
2017 का एमसीडी चुनाव
बात 2017 के एमसीडी चुनाव की करें तो बीजेपी को 181 वार्डों में जीत मिली थी जबकि आम आदमी पार्टी को 48, कांग्रेस को 30 और अन्य को 13 वार्डों पर जीत मिली थी। 2017 में बीजेपी को 36.02 फीसद, आम आदमी पार्टी को 26.21 फीसद, कांग्रेस को 21.21 फीसद, बसपा को 4.43 फीसद और निर्दलीयों और अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों को लगभग 12 फीसद वोट मिले थे।
2017 के एमसीडी चुनाव के नतीजों को आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका माना गया था क्योंकि दिल्ली की सत्ता में होते हुए भी उसे बीजेपी के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार उसे जीत मिली है।
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