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जेएनयू : फीस बढ़ोतरी को लेकर राष्ट्रपति से मिलने जा रहे छात्रों पर लाठीचार्ज

फीस बढ़ोतरी को वापस लिए जाने की माँग को जेएनयू छात्र फिर से सड़क पर उतर आए हैं। सोमवार को राष्ट्रपति से मिलने जा रहे जेएनयू छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है। छात्रों ने जेएनयू कैंपस से राष्ट्रपति भवन की ओर पैदल मार्च किया था, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोकने का प्रयास किया। 

राष्ट्रपति भवन की ओर जाने वाले रास्तों पर पुलिस ने बैरिकेडिंग की थी जिससे छात्र उस ओर मार्च नहीं कर सकें। इसके बावजूद छात्रों ने मार्च किया। इस बीच दोनों पक्षों के बीच झड़प होने की ख़बर आई। पुलिस ने इसी दौरान लाठी चार्ज किया। छात्रों का कहना है कि वे राष्ट्रपति भवन जाकर राम नाथ कोविंद से मिलना चाहते हैं और राष्ट्रपति से अपील करना चाहते हैं कि उनकी बढ़ी हुई फीस वापस ली जाए। इस पैदल मार्च का जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन ने भी साथ दिया।

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बता दें कि फीस बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ जेएनयू के छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी है। इससे पहले जब फीस बढ़ोतरी की घोषणा की गई थी तब छात्रों ने ज़बरदस्त प्रदर्शन किया था और कई जगहों पर बैरिकेड को तोड़ दिया था। पुलिस के जेएनयू कैंपस के बाहर धारा 144 लागू करने के बाद भी छात्रों ने मार्च निकाला था। इस दौरान पुलिस ने कई छात्रों को हिरासत में ले लिया था और कई की बेरहमी से पिटाई की थी। प्रदर्शन करने वाले छात्रों का कहना था कि वे शांतिपूर्ण तरीक़े से मार्च निकाल रहे थे लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। छात्रों का कहना है कि उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है।

इसके बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस विवाद को सुलझाने के लिए एक कमेटी का गठन किया था और कमेटी के सदस्यों से कहा था कि वह छात्रों और जेएनयू प्रशासन से बात करके इस विवाद को हल करे। जेएनयू के छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दफ़्तर में कमेटी से मिलने के बाद जेएनयू छात्र संघ ने कहा था कि उन्होंने कमेटी को जेएनयू में चल रहे आंदोलन के बारे में जानकारी दी है। छात्र नेताओं ने कहा कि जब तक उनकी माँगें पूरी नहीं हो जाती हैं तब तक कैंपस के अंदर उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।

लोकसभा में भी विपक्षी दलों के सांसदों के द्वारा इस मुद्दे को उठाया जा चुका है। विपक्षी सांसदों ने कहा था कि छात्रों की आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है और उन्होंने बढ़ी हुई हॉस्टल फ़ीस को वापस लेने की माँग की थी। जेएनयू छात्र संघ ने कहा था कि छात्रों के ख़िलाफ़ कोई भी प्रशासनिक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। 

छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में छात्र ग़रीब परिवारों से आते हैं, ऐसे में फ़ीस बढ़ने पर ये छात्र कैसे अपनी पढ़ाई पूरी कर पायेंगे।
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आईआईएमसी में भी प्रदर्शन

आईआईएमसी यानी भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली के छात्र भी फीस वृद्धि का विरोध कर रहे हैं। संस्थान में ट्यूशन फीस, हॉस्टल और मेस चार्ज में बढ़ोतरी की गई है। इसके ख़िलाफ़ छात्र कैंपस में 3 दिसंबर 2019 से हड़ताल कर रहे हैं।

lathi charge on jnu students marching towards president building - Satya Hindi

छात्रों का कहना है कि यह संस्थान ‘नो प्रॉफिट नो लॉस’ आधार पर चलने वाला है, जबकि आईआईएमसी में फीस साल दर साल बढ़ाई जा रही है। पिछले तीन सालों में यह फीस तकरीबन 50 फ़ीसदी तक बढ़ा दी गई है। वर्ष 2019-20 में रेडियो और टीवी पत्रकारिता के लिए 1,68,500, विज्ञापन और पीआर के लिए 1,31,500, हिंदी पत्रकारिता के लिए  95,500, अंग्रेजी पत्रकारिता के लिए 95,500 और उर्दू पत्रकारिता के लिए 55,500 रुपये फीस कर दी गई है। इसके अलावा, लड़कियों के लिए हॉस्टल और मेस का शुल्क क़रीब 6500 रुपये और लड़कों से एक कमरे का शुल्क 5250 रुपये हर महीने लिया जाता है।

हाल ही में कॉलेज शिक्षा महँगी होने पर कई जगहों पर प्रदर्शन हुए हैं। स्कूली शिक्षा भी महँगी होती जा रही है। 'द प्रिंट' ने एक रिपोर्टे दी है कि फ़ंड की कमी का हवाला देते हुए मोदी सरकार 2019-20 में स्कूली शिक्षा पर 3000 करोड़ रुपये का बजट आवंटन कम कर सकती है।
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क़मर वहीद नक़वी
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