कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत और पवन खेड़ा ने शुक्रवार को भाजपा पर धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाया है। इन दोनों नेताओं ने धर्म की राजनीति करने का आरोप लगा कर भाजपा पर जमकर हमला बोला है।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा है कि भाजपा ने इस देश को जाति, भाषा, पूजा करने और पहनावे पर बांटने की कोशिश की है, लेकिन अब भाजपा ने सनातन धर्म को ही सम्प्रदायों में बांट दिया। उन्होंने कहा कि हमने सिर्फ 22 जनवरी को जाने से इंकार किया है।
कांग्रेस व्यक्तिगत आस्था को सर्वोपरि मानती है। हम मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजाघर गए हैं और आगे भी जाते रहेंगे। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी और वहां के तमाम नेता जनरल सेक्रेटरी इंचार्ज के साथ 15 जनवरी को अयोध्या दर्शन के लिए जा रहे हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि, धर्म व्यक्तिगत आस्था का विषय है। फिर इसका इतना वीभत्स राजनीतिकरण क्यों किया जा रहा है? धार्मिक अनुष्ठानों में राजनीति करना सर्वथा गलत है।
यही कारण है कि आज हिंदू धर्म के चार शंकराचार्यों ने फैसला लिया है कि वो अयोध्या नहीं जाएंगे। राम राज्य में तो ऐसा नहीं था कि किसी आदिवासी के सिर पर पेशाब की जाए, भगवान राम ने तो शबरी के बेर खाए थे।
सच्चाई ये है कि जिन धार्मिक अनुष्ठानों का काम हमारे साधु-संतों को करना चाहिए, भाजपा ने उसका बीड़ा भी उठा लिया है, इसलिए आम लोग आहत और आक्रोशित हैं।
इस पूरे आयोजन में सिर्फ राजनीति दिखाई दे रही है
वहीं कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भाजपा पर हमला करते हुए पूछा है कि, क्या भगवान के मंदिर में निमंत्रण से जाया जाता है? किस तारीख को किस श्रेणी का व्यक्ति मंदिर जाएगा, क्या यह एक राजनीतिक दल तय करेगा? क्या एक राजनीतिक दल तय करेगा कि मैं अपने भगवान से मिलने कब जाऊं?उन्होंने कहा कि, न इंसान किसी को मंदिर में बुला सकता है और न इंसान किसी को मंदिर जाने से रोक सकता है। किसी भी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का एक विधि विधान होता है, धर्म शास्त्र होते हैं।
चारों पीठों के शंकराचार्य स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि एक अधूरे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जा सकती। ऐसे में अगर यह कार्यक्रम धार्मिक नहीं है, तो यह कार्यक्रम राजनीतिक है।
एक राजनीतिक कार्यक्रम में मेरे और मेरे भगवान के बीच एक राजनीतिक दल के कार्यकर्ता बिचौलिए बनकर बैठ जाएं, हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे।
पवन खेड़ा ने कहा कि, एक पूरा संगठन मेरे धर्म का ठेकेदार बनकर बैठा है, इनकी पूरी आईटी सेल चारों पीठों के शंकराचार्यों के खिलाफ एक मुहीम छेड़कर बैठी है। इस पूरे आयोजन में कहीं भी धर्म, नीति और आस्था नहीं दिखाई दे रही, सिर्फ राजनीति दिखाई दे रही है।
उन्होंने कहा कि, मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी की तारीख का चुनाव नहीं किया गया है, बल्कि चुनाव देखकर तारीख तय की गई है।
किसी एक व्यक्ति के राजनीतिक तमाशे के लिए हम अपने भगवान और आस्था के साथ खिलवाड़ होते हुए नहीं देख सकते।
मंदिर निर्माण का कार्य विधिवत पूरा हो, लेकिन इसमें किसी प्रकार का राजनीतिक दखल कोई भी भक्त बर्दाश्त नहीं करेगा।
पवन खेड़ा ने भाजपा और उसके नेताओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि, हम जानना चाहते हैं मंदिर में कौन आएगा और कौन नहीं, ये बताने वाले आप कौन हैं? प्राण प्रतिष्ठा में वीवीआईपी एंट्री लगाने वाले आप कौन हैं? कैमरों की फौज लेकर आधी-अधूरी प्राण प्रतिष्ठा करने वाले आप कौन हैं?
पवन खेड़ा ने कहा कि, शंकराचार्यों को नाराज करके आरएसएस के सरसंघचालक वहां जाकर बैठेंगे, प्रधानमंत्री मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा उनकी देखरेख में करेंगे। ये कतई धार्मिक आयोजन नहीं है, ये पूरी तरह राजनीतिक आयोजन है।
भावनात्मक मुद्दों का राजनीतिक दुरुपयोग किया जा रहा
राहुल गांधी ने शुक्रवार को एक्स पर राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर लिखा है कि, देश के युवाओं! आज 'राष्ट्रीय युवा दिवस' पर हमें स्वामी विवेकानंद के विचारों को फिर से याद करने की ज़रूरत है।
उन्होंने युवाओं की ऊर्जा को ही एक समृद्ध देश का आधार कहा और पीड़ित एवं निर्धन की सेवा को ही सबसे बड़ी तपस्या।
युवाओं को विचार करना ही होगा कि आखिर क्या होगी हमारे सपनों के भारत की पहचान? जीवन की गुणवत्ता या सिर्फ भावुकता? उत्तेजक नारे लगाता युवा या रोज़गार प्राप्त युवा? मोहब्बत या नफ़रत?
आज वास्तविक मुद्दों से नज़रें फेर कर भावनात्मक मुद्दों का राजनीतिक दुरुपयोग किया जा रहा है, जो देश की जनता के साथ छल है।
बढ़ती बेरोज़गारी और महंगाई के बीच युवा और गरीब पढ़ाई, कमाई और दवाई के बोझ तले दबा चला जा रहा है, और सरकार इसे 'अमृतकाल' बता कर उत्सव मना रही है।
उन्होंने एक्स पर लिखा है कि, अन्याय की इस आंधी में न्याय की लौ जलाए रखने के लिए मेरे साथ करोड़ों युवा 'न्याय योद्धा' स्वामी विवेकानंद जी की शिक्षा से प्रेरणा ले कर, न्याय का हक़ मिलने तक, इस संघर्ष में शामिल हो रहे हैं। सत्य जीतेगा, न्याय होगा!
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