दिल्ली की एक अदालत ने बाटला हाउस मुठभेड़ में आरिज़ ख़ान को दोषी पाया है। उस पर दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की हत्या करने का आरोप था। वह आतंकवादी गुट इंडियन मुजाहिदीन का सदस्य है। यह मुठभेड़ दक्षिण दिल्ली में सितंबर, 2008 को हुई थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा, "अभियोजन पक्ष ने अभियोग साबित कर दिया है और अभियुक्त को दोषी ठहराया जा सकता है। यह साबित हो चुका है कि अभियुक्त आरिज़ ख़ान भागने में कामयाब रहा और अधिकारियों के सामने पेश नहीं हुआ। इसलिए अभियुक्त को भारतीय दंड संहिता की धारा 186, 333, 353, 302, 307, 174A, 34 और 27 के तहत दोषी ठहराया जाता है।"
अदालत 15 मार्च को सज़ा सुनाएगी।
क्या है मामला?
दक्षिण दिल्ली के बाटला हाउस में 19 सितंबर, 2008 को दिल्ली पुलिस की विशेष सेल और इंडियन मुजाहिदीन के कथित आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ में इंस्पेक्टर शर्मा और दो कथित आतंकवादी मारे गए थे। इस मुठभेड़ के छह दिन पहले दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर बम विस्फोट हुए थे, जिनमें 26 लोग मारे गए थे। उस समय मनमोहन सिंह की सरकार थी।
आरिज़ मौके से भाग निकला था। उसे 2018 में नेपाल से गिरफ़्तार कर लाया गया था।
इस मामले में एक दूसरी अदालत ने इंडियन मुजाहिदीन के शहज़ाद अहमद को आजीवन कारावास की सज़ा 2013 में सुनाई थी। उसने इसके ख़िलाफ़ अपील कर रखी है। अपील का वह मामला अभी चल ही रहा है।
सिलसिलेवार धमाके
बता दें कि साल 2008 में दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद और उत्तर प्रदेश की अदालतों में हुए धमाकों के मुख्य साजिशकर्ताओं में आरिज का नाम आया था। इन सभी धमाकों में कुल 165 लोगों की मौत हुई थी, 535 लोग ज़ख़्मी हुए थे।
आरिज़ ख़ान पर पर 15 लाख रुपये का इनाम रखा गया था। उसके ख़िलाफ़ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस निकला हुआ था। अंत में आरिज़ खान को स्पेशल सेल की टीम ने फरवरी 2018 में गिरफ्तार किया था।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को पता चला था कि प्रतिबंधित संगठन सिमी और इंडियन मुजाहिद्दीन के लोग नेपाल से युवाओं को देश में अवैध गतिविधियों के लिए तैयार कर रहे हैं। सिमी से जुड़े अब्दुल सुहान उर्फ तौकीर को जनवरी 2018 में गिरफ़्तार किया गया। उससे मिली जानकारियों के आधार पर ही आरिज़ को गिरफ़्तार किया गया था।
आरिज़ ने मुजफ्फ़रनगर के एसडी कॉलेज से बी. टेक की पढ़ाई की है, पर वह बम बनाने में माहिर था।
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