सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने से जुड़े केस में भारतीय स्टेट बैंक की याचिका पर आज 11 मार्च को सुनवाई होगी। इस याचिका में राजनैतिक दलों द्वारा भुनाये गये प्रत्येक चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने की समय-सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग की गई है। एसबीआई इसके लिए 30 जून तक का समय चाहता है। इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट इस पर बात पर विचार करेगा कि यह समय सीमा बढ़ाई जाए या नहीं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट इस एडीआर की याचिका पर भी सुनवाई करेगा जिसमें एसबीआई के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की मांग की गई है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीते 15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 6 मार्च तक प्रत्येक चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी चुनाव आयोग को देने का आदेश दिया था। साथ ही चुनाव आयोग से कहा था कि वह एसबीआई से मिलने वाली इससे जुड़ी जानकारी 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करे, ताकि आम जनता को इसकी जानकारी मिल सके।
अब 13 मार्च में 2 दिन ही शेष बचा है, ऐसे में यह देखना होगा कि इस मामले में क्या एसबीआई को सुप्रीम कोर्ट से मोहलत मिलती है या नहीं।
एसबीआई ने इस तिथि तक यह जानकारी देनें में असमर्थता जताते हुए 6 मार्च को ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी। एसबीआई ने कहा था कि इतनी सारी जानकारी निकाने में उसे और वक्त चाहिए।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स या एडीआर ने 7 मार्च को ही सुप्रीम कोर्ट में एसबीआई के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक चुनावी बॉन्ड मामले से जुड़ी एडीआर की इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि एसबीआई ने राजनीतिक दलों को मिले चंदे की जानकारी निर्वाचन आयोग को छह मार्च तक सौंपने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानबूझ कर अवज्ञा की है।
याचिका में दावा किया गया है कि समय दिए जाने के अनुरोध वाली एसबीआई की अर्जी अंतिम क्षणों में जानबूझ कर दायर की गई। यह इसलिए दाखिल की गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चंदा देने वालों और चंदे की रकम का खुलासा लोकसभा चुनावों से पहले नहीं हो।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनावई करने वाली खंडपीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट कहती है कि, एसबीआई ने अपनी याचिका में दलील दी है कि जानकारी देनी की प्रक्रिया को पूरा करने में समय लगेगा। चुनावी बॉन्ड को ‘डीकोड' (कूट रहित) करना और चंदे का मिलान इसे देने वालों से करना एक जटिल प्रक्रिया होगी।
एसबीआई की याचिका में दलील दी गयी है कि "बॉन्ड जारी करने से जुड़े आंकड़े और बॉन्ड को नकदी में परिवर्तित करने से संबद्ध आंकड़े दो अलग-अलग स्थानों पर हैं।
यह चंदा देने वालों की गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिए किया गया था। चंदा देने वालों का विवरण बैंक की निर्दिष्ट शाखाओं में सीलबंद लिफाफों में रखा गया है। इसमें कहा गया है कि ये सीलबंद लिफाफे अर्जी दायर करने वाले बैंक की मुंबई स्थित मुख्य शाखा में जमा किये गए हैं।
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