दिल्ली में हुए दंगों के दौरान एक ओर जहां दिल्ली पुलिस अपनी अक्षमता को लेकर सवालों के घेरे में है, वहीं पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की पुलिस ने बॉर्डर पर तैनात रहकर शानदार काम किया है। दिल्ली में दंगों के दौरान 25 फ़रवरी को जब दंगाइयों की भीड़ दिल्ली के करावल नगर में रहने वाले लोगों के घरों में घुसना चाहती थी तो ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने दिल्ली की सीमा में घुसकर उन्हें खदेड़ दिया जबकि दिल्ली पुलिस ने इस बारे में सूचना दिये जाने के बाद भी क़दम उठाना ज़रूरी नहीं समझा।
यह दोपहर की घटना है। दंगाई एक के बाद एक घरों के दरवाज़े पीट रहे थे। दंगाइयों के एक गली में घुसने से पहले दिल्ली-यूपी बॉर्डर के दूसरी ओर यानी ग़ाज़ियाबाद के लाल बाग़ में खड़ी पुलिस की टीम ने यह भांप लिया कि करावल नगर में रहने वाला एक परिवार इन दंगाइयों के कारण दहशत में आ चुका है। दंगाइयों ने बहुत तेज़ी से गली में खड़ी एक कार, बाइक, स्कूटी और ई-रिक्शा को आग के हवाले कर दिया।
दंगाइयों के दरवाज़े पीटने के बाद जब किसी भी घर से कोई बाहर नहीं आया तो उन्होंने पेट्रोल से भरी कांच की बोतलों को दीवारों पर फेंकना शुरू किया। ग़ाज़ियाबाद पुलिस को यह समझ आ गया कि दंगाई इसके बाद और ज़्यादा आगजनी करेंगे। पुलिस के पास लोगों को बचाने के लिये कुछ ही लम्हे थे।
ग़ाज़ियाबाद के एसपी (ग्रामीण) नीरज कुमार जादौन उस समय बॉर्डर पर तैनात थे। जादौन ने बॉर्डर पार किया और दंगाइयों की ओर बढ़े। उनके सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट (लोनी) खालिद अंजुम, सर्किल अफ़सर राजकुमार पांडे और लगभग 30 पुलिसकर्मी भी दंगाइयों को रोकने के लिये आगे बढ़े। पुलिस के लाठीचार्ज की चेतावनी देने के बाद दंगाइयों ने पीछे हटना शुरू कर दिया।
जादौन ने अंग्रेजी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया (टीओआई) को बताया, ‘हम उन्हें आग लगाते देखकर खड़े नहीं रह सकते थे। जब किसी भी घर से लोगों ने दरवाज़ा नहीं खोला तो दंगाई पेट्रोल की बोतल फेंकने वाले थे, ये देखते ही हम लोगों ने तुरंत बॉर्डर पार करने का फ़ैसला किया।’ जादौन कहते हैं, ‘उस समय मैंने यह नहीं सोचा कि ये घर दिल्ली में हैं या ग़ाज़ियाबाद में या मेरे पास उनकी सुरक्षा करने का अधिकार है या नहीं।’ जादौन ने कहा कि एक पुलिस अफ़सर होने के नाते देश के हर इंसान की सुरक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है।
जादौन ने अख़बार को बताया, ‘जैसे ही दंगाइयों ने पीछे हटना शुरू किया ग़ाज़ियाबाद पुलिस अपनी पोस्ट पर वापस चली गयी और हमने वही किया जो प्रोटोकाल के हिसाब से ज़रूरी था।’ इसके बाद जादौन जो कहते हैं, उस पर आपको बहुत ज़्यादा आश्चर्य नहीं होना चाहिये। पुलिस अफ़सर ने कहा कि हमने दिल्ली पुलिस को इस घटना के बारे में बताया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और इससे वह हैरान रह गये। जादौन के बयान पर आश्चर्य इसलिये नहीं होना चाहिये कि क्योंकि यह सवाल लाजिमी है कि दिल्ली पुलिस की निष्क्रियता के कारण ही दंगाई इतने बड़े पैमाने पर उपद्रव मचा सके।
पुलिस बोली - सुरक्षा इंतजामों में व्यस्त थे
सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट खालिद अंजुम ने टीओआई को बताया, ‘दंगाइयों ने ग़ाज़ियाबाद पुलिस पर पत्थरबाज़ी की। लेकिन जब पुलिस और प्रशासन आगे बढ़े तो दंगाई पीछे हट गये।’ अंजुम कहते हैं कि पिछले दो दिन में दिल्ली पुलिस की ओर से एक भी सिपाही को बॉर्डर पर तैनात नहीं किया गया और जब हमने दिल्ली पुलिस को इस बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के आने के चलते सुरक्षा इंतजामों में व्यस्त थे। अंजुम ने अख़बार से कहा कि हालांकि मंगलवार रात को वरिष्ठ पुलिस अधिकारी करावल नगर-लाल बाग़ के इलाक़े में आये और ग़ाज़ियाबाद पुलिस और प्रशासन के इस काम की तारीफ़ की।
इसके बाद भी दिल्ली की ओर से दंगाई लगातार लाल बाग़ इलाक़े में दंगा भड़काने की कोशिशें कर चुके हैं। खालिद अंजुम कहते हैं कि ऐसी कोशिश मंगलवार रात को 10 बजे भी की गई लेकिन हमने उसे फ़ेल कर दिया। उसी दिन एक बार देर रात में और फिर 3 बजे दंगाइयों ने ऐसी ही कोशिश की लेकिन पुलिस ने उसे फिर नाकाम कर दिया।
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