टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजे जाने के मुद्दे पर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उप राज्यपाल आमने-सामने आ गए हैं। दिल्ली सरकार के द्वारा इस संबंध में भेजी गई फाइल को उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने कुछ सवाल उठाते हुए वापस लौटा दिया है।
इस पर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि अगर दिल्ली सरकार अपने टीचर्स को विदेशों में ट्रेनिंग के लिए नहीं भेज सकती तो फिर राजधानी में चुनी हुई सरकार बनाने का क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि अगर उप राज्यपाल को बच्चों से हमदर्दी है तो उन्हें टीचर्स को विदेश जाने से नहीं रोकना चाहिए।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के मामले में भी बीजेपी टांग अड़ा रही है। उन्होंने कहा कि जिन-जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार है वहां वह कुछ नहीं कर पा रही है और दिल्ली सरकार कुछ करना चाहती है तो वह उसे किसी भी कीमत पर रोकना चाहती है।
सिसोदिया ने कहा कि नई शिक्षा नीति भी यही कहती है कि टीचर्स की ट्रेनिंग में और सुधार किए जाने की जरूरत है और दिल्ली सरकार ने अपने सारे प्रिंसिपल की ट्रेनिंग आईआईएम में करवाई है।
उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दिल्ली सरकार ने 1100 टीचर्स को सिंगापुर, ब्रिटेन में ट्रेनिंग के लिए भेजा है लेकिन बीजेपी अब इसे रुकवाने की पूरी कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि फिनलैंड पूरी दुनिया में शिक्षा में सुधार के मामले में नंबर एक देश है और फिनलैंड ने यह करके दिखाया है कि सरकारी स्कूल दुनिया के सबसे बेहतर स्कूल कैसे बन सकते हैं। हम अपने टीचर्स और प्रिंसिपल को वहां भेजना चाहते हैं लेकिन चूंकि बीजेपी के लोग सर्विस डिपार्टमेंट पर नाजायज कब्जा करके बैठे हैं इसलिए टीचर्स ट्रेनिंग की फाइल भी हमें उप राज्यपाल के पास भेजनी पड़ती है।
उन्होंने बताया कि दिसंबर 2022 में टीचर्स के एक बैच को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजा जाना था और दूसरा बैच मार्च 2023 में भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि दिसंबर में जाने वाले बैच की फाइल अक्टूबर में उप राज्यपाल के पास भेज दी गई थी लेकिन उप राज्यपाल ने इसमें देरी करने के मकसद से फिनलैंड में जिस यूनिवर्सिटी में टीचर्स की ट्रेनिंग होनी थी, उसके टीचर्स ट्रेनिंग के एक्सपीरियंस पर सवाल खड़े कर दिए और इस फाइल को वापस भेज दिया।
कॉस्ट बेनिफिट एनालिसिस का तर्क
सिसोदिया ने बताया कि जब उनके सवाल का जवाब देकर फाइल भेजी गई तो तो अब उप राज्यपाल ने कहा है कि इसका कॉस्ट बेनिफिट एनालिसिस करवाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कॉस्ट बेनिफिट एनालिसिस एक बहुत बड़ा कुतर्क है और किसी भी काम को अगर रोकना हो तो उसमें इस कुतर्क का इस्तेमाल किया जाता है।
सिसोदिया ने उप राज्यपाल से निवेदन किया कि वह दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने के बीजेपी के कथित षड्यंत्र में उसके साथ ना जाएं। उन्होंने कहा कि बीजेपी को टीचर्स की ट्रेनिंग की अहमियत समझ नहीं आएगी क्योंकि उसके नेताओं का पढ़ाई-लिखाई से कोई नाता नहीं है।
बता दें कि दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच सेवाओं के नियंत्रण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है और गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि अगर राजधानी का पूरा प्रशासनिक नियंत्रण केंद्र सरकार के पास है तो फिर दिल्ली में चुनी हुई सरकार का क्या मतलब है।
सिंगापुर नहीं जा पाए थे केजरीवाल
यहां याद दिलाना होगा कि पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सिंगापुर के दौरे पर जाना था। लेकिन उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने उनके दौरे को अनुमति देने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। उप राज्यपाल का कहना था कि मुख्यमंत्री होने की वजह से अरविंद केजरीवाल को सिंगापुर में होने वाली मेयर्स कॉन्फ्रेंस में नहीं जाना चाहिए।
केजरीवाल ने इस मामले में पलटवार करते हुए कहा था कि अगर किसी शख्स का देश से बाहर जाना किसी विषय पर निर्भर करेगा तो प्रधानमंत्री तो कहीं भी नहीं जा सकेंगे।
बताना होगा कि दिल्ली के उप राज्यपाल और आम आदमी पार्टी सरकार के बीच पिछले कई महीनों से लगातार तनातनी चल रही है। पिछले साल नवंबर में उप राज्यपाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से कहा था कि वह जैस्मीन शाह को दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन (डीडीडीसी) के उपाध्यक्ष पद से हटाएं। डीडीडीसी को दिल्ली सरकार का थिंकटैंक माना जाता है।
उपराज्यपाल के साथ टकराव
आम आदमी पार्टी के नेताओं ने उपराज्यपाल पर खादी और ग्रामोद्योग आयोग का चेयरमैन रहते हुए भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए थे। इसे लेकर आम आदमी पार्टी के विधायकों ने दिल्ली की विधानसभा में रात भर धरना भी दिया था।
आम आदमी पार्टी का कहना था कि जब देश नोटबंदी के दौरान लाइनों में लगा था तब उपराज्यपाल सक्सेना काले धन को सफेद बनाने में लगे थे और उस दौरान वह खादी और ग्रामोद्योग आयोग के चेयरमैन के पद पर थे।
आम आदमी पार्टी ने उप राज्यपाल पर अपनी बेटी को नियमों के खिलाफ जाकर मुंबई में खादी लाउंज के इंटीरियर डिजाइनिंग का ठेका दिलाने का मामला भी उठाया था।
पिछले साल सितंबर में एलजी ने दिल्ली सरकार द्वारा 1000 लो फ्लोर बसों की खरीद की केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई से जांच कराने को मंजूरी दी थी। इससे पहले एलजी ने केजरीवाल सरकार द्वारा लाई गई और फिर वापस ली गई आबकारी नीति की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इसके बाद बीजेपी, कांग्रेस केजरीवाल सरकार के खिलाफ मैदान में उतर आए थे।
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